नई दिल्ली: वित्त बजट 2020-21 में केंद्र सरकार द्वारा एलआईसी और आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बेचने के फैसले पर आरएसएस से जुड़े संगठन भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने नाराजगी जाहिर की है। BMS ने कहा कि सरकार ने एलआईसी और आईडीबीआई बैंक को बेचने के लिए जो कदम उठाए हैं वो बहुत घातक हैं। मजदूर संघ ने शनिवार (1 फरवरी, 2020) शाम वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्त बजट पेश करने के बाद यह बयान दिया। संगठन ने कहा कि राष्ट्र की संपत्तियों को बेचकर धन जुटाने का तरीका खराब अर्थशास्त्र का उदाहरण है। सरकार असहाय रूप से राजस्व सृजन के लिए राष्ट्रीय धन की बिक्री पर निर्भर है। संगठन ने केंद्र के आर्थिक सलाहकारों और नौकरशाहों पर भी निशाना साधा।

मजदूर संगठन ने सरकार को सलाह देते हुए कहा कि बेहतर हो कि सरकार राष्ट्र की संपत्तियों के बेचे बगैर राजस्व जुटाने का कोई मॉडल तैयार करे। संगठन ने कहा, ‘भारतीय जीवन बीमा निगम देश के मध्यम वर्ग की बचत को सुरक्षित रखने वाला उपक्रम है। आईडीबीआई एक ऐसा बैंक है जो छोटे उद्योगों को वित्तपोषित करता है। इसलिए दोनों उपक्रमों में हिस्सेदारी बेचने का खामियाजा सरकार भुगतना पड़ेगा।’

बता दें कि सरकार ने अपने विनिवेश कार्यक्रम के तहत देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में अपनी कुछ हिस्सेदारी आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिए बेचने की घोषणा की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को लोकसभा में 2020-21 का बजट भाषण पढ़ते हुए यह प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि एलआईसी को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कराया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि सूचीबद्धता से कंपनियों में वित्तीय अनुशासन बढ़ता है। सीतारमण ने कहा कि सरकार का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिए एलआईसी में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव है। अभी एलआईसी की पूरी हिस्सेदारी सरकार के पास है।