मुंबई: भारत के पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त शैलेष गांधी ने सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत अपने जन्म प्रमाण पत्र की जानकारी मांगी थी, मगर वो इसे पाने में नाकाम रहे। बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने अपने उत्तर में कहा कि 1947 का जन्म पंजीकरण का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं। लिहाजा जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर जारी विवाद के बीच पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त ने ट्वीट किया, ‘मुझको अपनी नागरिकता सिद्ध करने की चिंता हो रही है। मैंने अपने जन्म प्रमाण हासिल करने का प्रयास किया, लेकिन नाकाम रहा। बीएमसी मेरे जन्म का सबूत नहीं खोज पाई है।’

दरअसल, शैलेष गांधी ने पिछले साल अपने जन्म प्रमाण पत्र के लिए आरटीआई लगाई थी। हालांकि बीएमसी के पास उनके जन्म का साक्ष्य नहीं हैं। शैलेष गांधी मुंबई के रहने वाले हैं। बीएमसी ने अपने जवाब में कहा कि वो उनको जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने में असमर्थ है। शैलेष गांधी ने ट्वीट कर उस वक्त यह जानकारी दी है, जब नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) को लेकर बहस जारी है।

पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त ने अपनी नागरिकता साबित करने की चिंता को लेकर ट्वीट किया। उन्होंने अपने ट्वीट के साथ बीएमसी द्वारा अक्टूबर 2019 में भेजे गए जवाबी लेटर को भी शेयर किया। इसमें बीएमसी ने शैलेष गांधी से कहा कि उनका जन्म पंजीकृत नहीं है।

एक मीडिया चैनल से बातचीत में शैलेष गांधी ने कहा, ‘जब मुझको बीएमसी का उत्तर मिला, तो मैं आश्चर्यचकित रह गया कि मुंबई जैसे स्थान में मुझे अपना प्रमाण पत्र नहीं मिल सका, तो उन लोगों का क्या होगा, जो अनाथ हैं या खानाबदोश हैं या फिर किसी हादसे में उनके दस्तावेज खो गए हैं? उन्होंने कहा कि एनआरसी के साथ सीएए नहीं होता तो सबको परेशानी उठानी पड़ती। यदि सीएए लाए बिना एनआरसी लाया जाता, तो काफी संख्या में लोग बाहर हो जाते। सीएए के आने से मुस्लिमों को दिक्कतें उठानी पड़ेगी।