नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने कहा है, ''कानून में धार्मिक उत्पीड़न पर नागरिकता देने पर हम विचार नहीं करेंगे और ना ही ऐसी कोई शर्त है। उन्होंने कहा कि बताइए आप कैसे साबित करेंगे कि धार्मिक उत्पीड़न या प्रताड़ना हुई है?'' संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) लागू होने के बाद असम में भारत की नागरिकता पाने के लिए आवेदन करने वालों को केंद्र सरकार तीन महीने का समय दे सकती है। हालांकि इसपर अभी अधिकारिक मुहर नहीं लगी है। हेमंत विश्व शर्मा नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (एनईडीए) के प्रमुख हैं।

TOI में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, हेमंत विश्व शर्मा ने कहा है, कानून के लिए कड़े नियम बनाए जा रहे हैं ताकि कोई गलत तरीके से धर्मांतरण का बहाना बना कर नागरिकता लेने की कोशिश ना करे। मंत्री ने कहा, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से छह धर्म (हिंदू, जैन, पारसी, ईसाई, सिख या बौद्ध) के लोगों को नागरिकता देने के लिए धार्मिक प्रताड़ना कभी कोई शर्त ही नहीं थी।

उन्होंने कहा, ''आप बताइए आप कैसे साबित करेंगे कि धार्मिक प्रताड़ना हुई है? इसके लिए बांग्लादेश जाना होगा, वहां से प्रमाणपत्र लाना होगा और सोचने वाली बात है कि आखिर बांग्लादेश क्यों ऐसा प्रमाण देगा? एक आवेदक कैसे साबित कर सकता है कि वह धार्मिक उत्पीड़न का शिकार है या मूल देश से भाग कर आया है और धार्मिक उत्पीड़न के डर से भारत में प्रवेश किया है? ''

हेमंत विश्व शर्मा ने कहा, "नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए तीन मानदंड हैं। पहला, किसी को हिंदू, जैन, पारसी, ईसाई, सिख या बौद्ध होना चाहिए। दूसरा, आवेदक का मूल देश बांग्लादेश, अफगानिस्तान या पाकिस्तान होना चाहिए। तीसरा, आवेदक के पास 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में निवास का प्रमाण होना चाहिए। धार्मिक उत्पीड़न कोई मापदंड नहीं है।"

उन्होंने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम में धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर किसी व्यक्ति को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करने का कोई प्रावधान नहीं है।

हेमंत ने पिछले हफ्ते 13 जनवरी को हिंदू बंगालियों को नागरिकता देने का भी समर्थन किया था। उन्होंने कहा था, ‘‘एक हिंदू जिन्ना नहीं हो सकता। किसी भी हिंदू राजा ने कोई मस्जिद या मंदिर ध्वस्त नहीं किया है। एक हिंदू हमेशा ही धर्मनिरपेक्ष होता है और किसी पर हमला नहीं करता। हिंदू धर्मनिरपेक्ष हैं।’’