नई दिल्ली: नई दिल्ली. कांग्रेस ने कश्मीर घाटी में दो आतंकवादियों के साथ गिरफ्तार डीएसपी दविंदर सिंह की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए और कहा कि इस बारे में गंभीर जांच होने की जरूरत है. कहीं दविंदर के तार जम्मू-कश्मीर शासन एवं केंद्र के शासन में किसी से तो नहीं जुड़े हैं.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को वक्तव्य देना चाहिए. पुलवामा हमले में हमारे 42 जवान शहीद हो गए. हमने कई बार सवाल किया कि आरडीएक्स कौन लेकर आया? कई बार पूछा कि हमले के लिए इस्तेमाल कार सेना के काफिले में कैसे आ गई? मोदी जी, अमित शाह जी और राजनाथ सिंह जी ने इसका जवाब नहीं दिया.

सुरजेवाला ने कहा, अब सामने आया है कि यही दविंदर सिंह पुलवामा का डीएसपी था. क्या दविंदर सिंह एक मेाहरा है. या देविंदर सिंह ही षड्यंत्र का सूत्रधार है? इस सारे मामले की गंभीर और गहन जांच की जरूरत है. कांग्रेस नेता ने पूछा, कहीं दविंदर सिंह के तार जम्मू-कश्मीर शासन या दिल्ली के शासन में ऐसे किसी व्यक्ति या समूह के साथ जुड़े हुए तो नहीं हैं जो भारत के खिलाफ साजिश कर रहे हैं?

दविंदर सिंह को शनिवार को जम्मू कश्मीर के कुलगाम में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों के साथ गिरफ्तार किया गया था. दविंदर सिंह को सोमवार को सस्पेंड कर दिया गया. अब आतंकियों के साथ कनेक्शन को लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है. दविंदर सिंह का नाम 2001 के संसद हमला मामले में भी सामने आया था.

वहीँ कांग्रेस ने मंहगाई और दुसरे मुद्दों पर भी मोदी सरकार को घेरा, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि वह विपक्षी पार्टी के नेताओं के साथ एक बैठक बुलाएं और उन्हें मंहगाई रोकने के लिए सरकार के रोडमैप के बारे में बताए, जो कि 2014 में संप्रग के सत्ता से बेदखल होने के बाद काफी ऊंचाई पर पहुंच गई है। केंद्र पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “प्रधानमंत्री को देश को बताना चाहिए कि एक महीने में महंगाई को रोकने के लिए क्या रोडमैप है।”

सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री केवल विभाजनकारी बातों में लगे हुए हैं और देश के सामने खड़े महत्वपूर्ण मुद्दों से नहीं निपट रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, साल-दर-साल आधार पर, खुदरा महंगाई दर सोमवार को साढ़े पांच साल के उच्चतम स्तर 7.35 प्रतिशत पर पहुंच गई है। सोमवार को विपक्ष ने एक प्रस्ताव पारित किया, जहां राजनीतिक दलों ने सरकार द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था के पूर्ण कुप्रबंधन के कारण लोगों की आजीविका की स्थिति में व्यापक रूप से गिरावट पर चिंता व्यक्त की।

प्रस्ताव में कहा गया कि आर्थिक संकट ने अर्थव्यवस्था को देश की जीडीपी में गिरावट के साथ मंदी के कगार पर धकेल दिया है, और पिछली आधी सदी में बेरोजगारी उच्चतम स्तर पर है। किसानों की बढ़ती आत्महत्याओं के साथ कृषि संकट गहराता जा रहा है, बड़े पैमाने पर औद्योगिक इकाइयों में बंदी या छंटनी हुई है। पेट्रोलियम उत्पादों, रसोई गैस, सब्जियों और सभी आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों ने लोगों के जीवन को दुश्वर बना दिया है। मोदी सरकार में आर्थिक आपदा की स्थिति है।