लखनऊ। मोमिन अन्सार सभा ने नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA), नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजन (NRC), नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (NPR) को तत्काल निरस्त किए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है| मोमिन अंसार सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद अकरम अंसारी व उ.प्र. मोमिन अधिवक्ता सभा (प्रकोष्ठ मोमिन अन्सार सभा) के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल रशीद एडवोकेट ने CAA,NRC,NPR को ग़ैर संवैधानिक घोषित करने के लिए एक लेटर पेटीशन भेजी जिसमें सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि उपरोक्त जो क़ानून संसद द्वारा पारित किए गए हैं वे न केवल असंवैधानिक व ग़ैर क़ानूनी हैं बल्कि संविधान की आत्मा व मूल ढांचे व प्रस्तावना के भी ख़िलाफ़ है

मोमिन अंसार सभा ने अपनी पेटिशन में कहा है कि जो क़ानून बनाए गए हैं वे संविधान के अनुच्छेद 14 व 15 का खुला उल्लंघन है| ये क़ानून जल्दीबाज़ी में पार्लियामेंट के अंदर व बाहर क़ानूनविदों व जनमानस से विचार-विमर्श के बग़ैर पारित कर लिया गया है। ये संविधान के पार्ट III का खुला उल्लंघन है तथा प्रस्तावना के ख़िलाफ़ है। ये U.N.O. द्वारा पारित चार्टर के ख़िलाफ़ है जिसके द्वारा किसी को मानवाधिकार वंचित नहीं किया जा सकता, जिसे हमारे संविधान ने अपनाया है। ये भारत के नागरिकों तथा रहने वालों के कल्याण के ख़िलाफ़ व धर्म के आधार पर भेदभाव से भरा हुआ है इसीलिए देश भर में जनता विरोध प्रदर्शन कर रही है| यह संविधान के मूलभूत सिद्धांत के ख़िलाफ़ है, यह प्रस्तावना के मूलभूत सिद्धांत के ख़िलाफ़ है इसलिए इसको अनुच्छेद 368 के द्ववारा संशोधित नहीं किया जा सकता है

पेटिशन में उन फैसलों का भी ज़िक्र किया गया है जिसमें इस सम्बंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्णय किए गए हैं। इन फैसलों में केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य AIR 1973 SC.page 1461. इंदिरा गांधी बनाम राजनरायन 1975 पेज 2299. मिनर्वा मिल्स बनाम यूनियन आफ़ इंडिया AIR 1980 SC.page 1789. वालसम्मा पाल बनाम कोचिन यूनिवर्सिटी AIR 1011 आदि शामिल हैं

संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो. अकरम अन्सारी ने देशवासियों, सामाजिक संगठनों व राजनीतिक पार्टियों से इस काले कानून को निरस्त किए जाने के लिए चीफ जस्टिस आफ इंडिया को डाक के माध्यम से लेटर पेटिशन भेजने की अपील की है।