नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में आए उच्चतम न्यायालय के आदेश की सराहना करते हुए शुक्रवार को कहा कि सरकार ने लोगों को गुमराह करने की कोशिश की थी और इस बार शीर्ष अदालत किसी दबाव में नहीं आई. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने कहा, ‘‘हम फैसले का स्वागत करते हैं. यह पहली बार है कि उचचतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की दिल की बात कही है. उसने लोगों की नब्ज पकड़ ली है. मैं ऐतिहासिक निर्णय के लिए उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद करना चाहता हूं. पूरे देश खासकर जम्मू-कश्मीर के लोग इसके लिए इंतजार कर रहे थे.''

उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार ने पूरे देश को गुमराह किसा. इस बार उच्चतम न्यायालय किसी दबाव में नहीं आई.' उच्च्तम न्यायालय ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन को केंद्र शासित प्रदेश में प्रतिबंध लगाने के सभी आदेशों की एक हफ्ते में समीक्षा करने का आदेश दिया और इंटरनेट के इस्तेमाल को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकारों का हिस्सा बताया . न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा. वहीं, कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी को मोदी सरकार के लिए वर्ष 2020 का पहला बड़ा झटका करार देते हुए शुक्रवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह स्मरण कराया गया है कि देश उनके सामने नहीं, संविधान के समक्ष झुकता है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने मोदी सरकार की गैरकानूनी गतिविधियों को यह कहते हुए पहला बड़ा झटका दिया कि इंटरनेट की आजादी एक मौलिक अधिकार है.'

उन्होंने दावा किया, 'मोदी-शाह के लिए दोहरा झटका है कि विरोध को धारा 144 लगाकर नहीं दबाया जा सकता. उन्होंने कहा कि मोदी जी को याद दिलाया गया है कि राष्ट्र उनके सामने नहीं, संविधान के सामने झुकता है.'