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‘छपाक’ के लिए एक शब्द में बोलें तो POWERFUL

देश भर में इन दिनों चर्चा विषय बनी दबंग दीपिका की फिल्म 'छपाक' के लिए तरुण आदर्श ने अपने रिव्यु में कहा है कि "एक शब्द में बोलें तो #Chhapaak: POWERFUL. एक जाने माने फिल्म विश्लेषक का यह one word review फिल्म की पूरी कहानी बयान कर देता है|

अब बात फिल्म 'छपाक' कहानी की जो लक्ष्मी अग्रवाल नाम की युवती साथ हुए हादसे पर आधारित है जो अप्रैल, 2005 में दिल्ली में एसिड अटैक का शिकार हुईं थी। इस फिल्म में मालती का किरदार दीपिका पादुकोण निभा रही है। कहानी सक्षेप में यूँ है, मालती 12वीं की छात्रा रहती है, जब पड़ोस का एक लड़का बशीर खान उसे शादी के लिए प्रपोज करता है। मालती का इंकार सुनते ही वह बदला लेने की ठानता है और एक दिन रास्ते में मालती पर तेजाब से हमला कर देता है। एक पल में मालती की जिंदगी बदल जाती है। हमले के कारण मालती को कई शारीरिक, मानसिक और सामजिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है। इतना ही नहीं, न्याय की उम्मीद में उसे कानूनी रूप से भी काफी संघर्ष करना पड़ता है। कभी अपने दिल मे सिंगर बनने का सपना देखने वाली मालती अब दूसरों की नजरों में एक बेचारी और असहाय नजर आती है। हालांकि एसिड का असर मालती के सपनों पर नहीं पड़ता वह दोगुने जोश और लगन के साथ वह अपने सपनों को पाने और जिंदगी की जरूरतों को पूरा करने के लिए वह अच्छी नौकरी की तलाश करती है। वह जानती है कि वह मेहनती और प्रतिभावान है, दुनिया मानती है कि वह बहुत कुछ कर सकती है। लेकिन उसे मौका देने से कतराती है। क्यों? क्योंकि उसका चेहरा एसिड फेंके जाने की वजह से विकृत और बदसूरत है। वह समाज के खूबसूरती के मापदंड पर खरी नहीं उतरती। अपने ऊपर हुए हमले के चलते मालती अपना चेहरा खो बैठती है। वह निराश होकर एक आशा की उमिंद में बस भटकी रहती है। इसी बीच उनकी मुलाकात एक मीडियाकर्मी से होती जो मालती की एसिड की कहानी सबके सामने लाता है। उसके बाद कहानी की असली शुरूआत होती है। इस दौरान उनकी मुलाकत सामजिक कार्यकर्ता अमोल (विक्रांत मैसी) से होती है। अमोल, जो पत्रकार से समाज सेवक बन चुका है और एक एनजीओ चलाता है। अमोल की एनजीओ एसिड अटैक पीड़िताओं का इलाज कराती है और बेहतर जिंदगी देने की कोशिश करती है। मालती इस एनजीओ से जुड़ जाती है। साथ ही साथ खुद पर हुए हमले के खिलाफ आवाज उठाती है और बेबाकी से अपनी लड़ाई लड़ती है। वह तेजाब बैन कराने के लिए कानून में बदलाव की भी मांग करती है। अपने PIL को लेकर मालती देशभर में चर्चित है। एक हंसती खेलती, सपने देखती लड़की से.. मालती किस तरह एक बिलखती पीड़िता और फिर चुनौतियों का सामना करते करते आत्म विश्वासी और लाखों के लिए प्रेरणा बन जाती है। यह सफर देखने लायक है।

इस फिल्म में दबंग दीपिका पादुकोण ने मालती के किरदार में जान डाल दी है। दीपिका जिस तरह से मालती के किरदार में ढली हुई हैं ये देखकर कहीं नहीं लगता कि वो उनका नाट्य रूपांतरण कर रही हैं। प्रोस्थेटिक मेकअप में दीपिका का चेहरा जब पहली बार सामने आता है तो वाकई में रोंगटे खड़ा कर देने वाला होता है।फिल्म में दीपिका की एक्टिंग काफी प्रभावशाली है। इसके बाद विक्रांत मैसी जोकि एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में एकदम सुलझे हुए लगते हैं। उनके अंदाज में अनुशासन और उनके डायलॉग्स में उनके किरदार की गहराई नजर आती है। विक्रांत मेसी जिस दृश्य में भी दिखे, उस सीन को अपना बनाकर ले गए। फिल्म में मधुरजीत सरगी जोकि मालती के वकील का किरदार निभा रही हैं, उन्होंने भी काफी दमदार अभिनय निभाकर हमें इम्प्रेस किया है।

फिल्म की कहानी शुरू से अंत तक आपको बांधे रखती है।कहीं सीन ऐसे आते हैं कि जब आपको रोने और चीखने चिल्लाने का मन करने लगता है। फिल्म में पीड़िता के दर्द को इतनी सेंसिटिविटी के साथ दर्शाया गया है कि फिल्म देखने वाले भी इसे महसूस कर पाएंगे।कुल मिलाकर ये फिल्म बेहतरीन है और आप इसे सिनेमाघरों में देखने ज़रूर जाइये|

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