नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्याल (जेएनयू) में रविवार को हुई हिंसा के बाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सीपी चंद्रशेखर ने सरकार की कमेटी से अलग हो गए हैं। कमेटी की भारत के आर्थिक डेटा पर मंगलवार यानी आज पहली समीक्षा बैठक होने वाली थी, लेकिन इस बैठक से पहले ही प्रोफेसर सीपी चंद्रशेखर कमेटी से इस्तीफा दे दिया है। पिछले महीने मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लिमेंटेशन ने इकोनॉमिक स्टैटिस्टिक्स पर स्टैंडिंग कमेटी का गठन किया था, जिसकी कमान चीफ स्टैटिस्टिशयन प्रनब सेन कर रहे हैं। चंद्रशेखर ने मौजूदा हालात पर चिंता जाहिर कर कहा कि ऐसी सरकार के साथ काम करना मुश्किल है जिस पर से आपका विश्वास उठ चुका हो।

प्रोफेसर चंद्रशेखर ने यह फैसला लेते हुए कहा, ‘मुझे यह बताते हुए खेद है कि जेएनयू जहां मैं रहता हूं। पिछले दिनों वहां जो स्थिति बनी है उसके कारण, मैं कल की बैठक में शामिल नहीं हो पाऊंगा’। उन्होंने इसके आगे यह भी कहा, ‘मुझे लगता है कि मौजूदा परिस्थितियों में इस समिति में हिस्सा लेना मेरे लिए संभव नहीं है’।

बता दें कि बीते महीने सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने सांख्यिकीविद प्रोनब सेन की अध्यक्षता में आर्थिक सांख्यिकी पर स्थायी समिति का गठन किया था। समिति का गठन सांख्यिकी आंकड़ो में ‘राजनीतिक दखल’ पर बढ़ती चिंता के बाद किया गया। सांख्यिकीय प्रणाली को लेकर सरकार की तरफ से बनाए गए पैनल में जेएनयू में सेंटर फॉर इकोनॉमिक स्टडीज एंड प्लानिंग के प्रोफेसर सीपी चंद्रशेखर को भी शामिल किया गया था। कहा जा रहा है कि समिति की पहली बैठक मंगलवार यानी आज होने वाली है।

चंद्रशेखर ने ई-मेल के जरिए इस बात की जानकारी दी, जिसमें उन्होंने लिखा कि मुझे आपको यह सूचित करते हुए अफसोस है कि जेएनयू में जो हालात हैं, जहां मैं रहता हूं, वहां के हालात की वजह से मैं इस कमेटी की बैठक में नहीं आ सकता हूं। आगे मुझे लगता है कि मौजूदा हालात में यह कमेटी सांख्यिकीय व्यवस्था में लोगों का भरोसा नहीं बरकरार रख सकती है, जिसे पूर्व के समय में कमतर किया गया। चंद्रशेखर ने यह ई मेल कमेटी के सभी सदस्यों को किया है।

अपने त्याग पत्र में चंद्रशेखर ने कहा, ‘मैं सांख्यिकीय प्रणाली के भीतर बड़ी संख्या में मेरे साथ काम कर रहे सहकर्मियों के निरंतर प्रयासों की सराहना करना चाहता हूं, जिनके साथ मैंने पिछले कुछ समय में देश के लिए एक मजबूत और विश्वसनीय सांख्यिकीय आधार बनाने के लिए काम किया है’।

उन्होंने अपने पत्र में कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीतिक दबावों में पैनल में उनकी स्वायत्तता को कम कर दिया है और एक अच्छी तरह से डिजाइन की गई आर्थिक प्रणाली को मजबूत करने के प्रयासों को विकृत किया जा रहा है। इन परिस्थितियों में मैं इस समिति के लिए सेवा नहीं दे पाउंगा’।

उल्लेखनीय है कि जेएनयू में छात्र दो महीने से बढ़ी हुई फीस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में स्थिति रविवार को उस समय और खराब हो गई जब नकाबपोश बदमाशों ने कैंपस में घुस कर छात्रों और प्रोफेसर के साथ मारपीट की और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। घटना में 34 छात्र घायल हो गए। घटना के बाद दो हॉस्टल वार्डन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस घटना के बाद से तमाम छात्र लगातार दिल्ली पुलिस और सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं।