नई दिल्ली: वित्तीय संकट में फंसी सरकारी एयरलाइन एअर इंडिया को अगर खरीदार नहीं मिला तो अगले साल जून तक उसे परिचालन बंद करने के लिए मजूबर होना पड़ सकता है।

एअर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि " टुकड़ों – टुकड़ों " में पूंजी की व्यवस्था से लंबे समय तक गाड़ी नहीं चलाई जा सकती है। एअर इंडिया के भविष्य को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के बीच अधिकारी ने कहा कि 12 छोटे विमान खड़े हैं , इन्हें फिर से चलाने के लिए पूंजी की जरूरत है।

एयरलाइन पर करीब 60,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और सरकार विनिवेश के तौर – तरीकों पर काम कर रही है। अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करते हुए चेताया कि यदि अगले साल जून तक कोई संभावित खरीदार नहीं मिलता है तो एअर इंडिया भी जेट एयरवेज के रास्ते पर जा सकती है।

उन्होंने कहा कि निजीकरण की योजनाओं के बीच सरकार ने कर्ज तले दबी कंपनी में और पूंजी निवेश करने से इनकार कर दिया है। इसकी वजह से एयरलाइन को " किसी तरह " टुकड़ों में पूंजी की व्यवस्था करके काम चलाना पड़ रहा है। इसके लंबे समय तक चलने की संभावना नहीं है।

अधिकारी ने कहा , " हम इस समय किसी तरह से परिचालन कर पा रहे हैं और बहुत अच्छी सूरत में हम जून तक इस स्थिति को बनाये रख सकते हैं। यदि इस समय तक कोई खरीदार नहीं मिला तो हमें दुकान बंद करनी पड़ेगी। "

उन्होंने कहा कि हमने परिचालन जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार से 2,400 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी मांगी थी, लेकिन सरकार ने सिर्फ 500 करोड़ रुपये के लिए सरकारी गारंटी दी। सरकार चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में एअर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी की बिक्री के लिए रुचि पत्र जारी कर सकती है।

अधिकारी के मुताबिक , खरीदार मिल जाने की सूरत में लेनदेन को पूरा करने में कम से कम छह महीने का समय लगेगा। बशर्तें की बिक्री की प्रकिया अगले महीने की शुरुआत में हो। अधिकारी ने " आर्थिक स्थिति " को देखते हुए सरकार को निवेशक मिलने की बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं जताई है।