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सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने पर छात्रों को धमका रही है गुजरात की यूनिवर्सिटी

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच गुजरात के निरमा विश्वविद्यालय पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने अपने छात्रों को "नागरिकता (संशोधन)" अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने पर "धमकाने" की कोशिश की और उनके माता-पिता को भी नसीहत दी कि वे उन्हें 'सलाह' दें। साथ ही आरोप है कि छात्रों को शपथपत्र देने को कहा गया कि वे भविष्य में ऐसी गतिविधियों में भागीदारी से दूर रहेंगे।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बुधवार को आरोप लगाया कि निरमा विश्वविद्यालय ने नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले अपने छात्रों को ‘आगाह’ किया और अभिभावकों को उन्हें समझाने की सलाह दी। राज्य के कानून के तहत स्थापित निजी विश्वविद्यालय के अधिकारी मामले पर बयान के लिए उपलब्ध नहीं थे।

सीएए और एनआरसी के खिलाफ पिछले सप्ताह यहां साबरमती आश्रम के सामने विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। ‘यंग इंडिया नेशनल को-आर्डिनेशन कमेटी’ और ‘कैंपेन अगेंस्ट सीएए-एनआरसी-एनपीए’ के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को उन मैसेजों के स्क्रीन शॉट मीडिया से साझा किये, जिन्हें कथित तौर पर छात्रों और अभिभावकों को विश्वविद्यालय की ओर से भेजा गया था।

संदेश

"प्रिय माता-पिता, इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ, निरमा विश्वविद्यालय से शुभकामनाएं। यह हमारे ज्ञान में आया है कि आपका पुत्र/पुत्री हाल के मुद्दों के विरोध में शामिल था। पुलिस और खुफिया ब्यूरो-आईबी ने आपपके बच्चे का ब्योरा हमसे ले लिया है।"

संदेश में कहा गया है, "हमने अपने छात्रों को इस तरह की गतिविधियों से बचने के लिए परामर्श दिया है और हम भी आपकी तरफ से समर्थन की उम्मीद करते हैं। यह भी आपको सूचित करना है कि यदि आपका पुत्र/पुत्री विरोध प्रदर्शन में भाग लेता है, तो पुलिस उसके खिलाफ रिकॉर्ड बना सकती है। धन्यवाद।"

कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाले छात्रों को धमकाया गया है। कार्यकर्ताओं ने एक बयान में कहा कि छात्रों को शपथपत्र देने को कहा गया कि वे भविष्य में ऐसी गतिविधियों में भागीदारी से दूर रहेंगे।

उन्होंने कहा, "हम संबंधित अधिकारियों से छात्रों और उनके अभिभावकों को भेजे गए संदेशों को वापस लेने की मांग करते हैं और छात्रों को वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने मौलिक अधिकार का उपयोग करने के लिए डराते और परेशान नहीं करते हैं।"

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