नई दिल्ली: झारखंड में बीजेपी भले ही हार गई हो और उसकी पहचान मुस्लिम विरोधी पार्टी के तौर पर प्रचारित की जाती रही हो लेकिन यह भी सच है कि हालिया विधानसभा चुनावों में राज्य के 14 फीसदी मुसलमानों ने बीजेपी को वोट दिया है। इससे करीब चार गुना ज्यादा 53 फीसदी मुस्लिमों ने जेएमएम, कांग्रेस और राजद गठबंधन पर भरोसा जताया है। लोकनीति-सीएसडीएस पोस्ट-पोल सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी को सबसे ज्यादा हिन्दुओं ने वोट दिए हैं।

सर्वे के मुताबिक कुल 39 फीसदी हिन्दू वोटरों ने बीजेपी को और 31 फीसदी ने महागठबंधन को वोट दिया है। सुदेश महतो के आजसू और पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी के जेवीएम को क्रमश: 9 और 6 फीसदी हिन्दू मतदाताओं ने वोट दिए हैं। 16 फीसदी हिन्दू मतदाताओं ने अन्य पर भरोसा जताया है।

मुस्लिम मतदाताओं ने सबसे ज्यादा 53 फीसदी महागठबंधन और 14 फीसदी ने बीजेपी को वोट दिया है। इनके अलावा 6 फीसदी ने जेवीएम, पांच फीसदी ने आजसू और 22 ने फीसदी अन्य को वोट दिए हैं। राज्य में क्रिश्चम आबादी भी अच्छी खासी है। इनका झुकाव भी महागठबंधन की तरफ देखने को मिला है। सर्वे के मुताबिक कुल 41 फीसदी क्रिश्चन ने महागठबंधन को जबकि 23 फीसदी ने बीजेपी को वोट किया है। आजसू को सात, जेवीएम को 4 और अन्य को 25 फीसदी क्रिश्चन ने वोट किया है। यानी धार्मिक अल्पसंख्यकों ने कांग्रेस, जेएमएम और राजद पर भरोसा जताया है।

जातिवार आंकड़ों पर नजर डालें तो 2014 के विधान सभा चुनाव के मुकाबले इस बार 11 फीसदी ज्यादा यादव वोटरों ने महागठबंधन को वोट दिया जबकि बीजेपी को 14 फीसदी यादव वोट का नुकसान हुआ है। सर्वे के मुताबिक ऊंची जाति को मतदाताओं के वोट में बीजेपी को 8 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ा है, जबकि महागठबंधन को ऊंची जाति के 2 फीसदी वोटरों ने पांच साल पहले के मुकाबले कम वोट दिया।

कुर्मी वोटरों का रुझान आजसू की तरफ रहा। इस वजह से महागठबंधन को इस जाति के वोट बैंक में 11 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ा है, जबकि बीजेपी को मात्र चार फीसदी का नुकसान हुआ है। अन्य ओबीसी जातियों के दो फीसदी ज्यादा वोटरों ने महागठबंधन को वोट किया जबकि बीजेपी को इस वर्ग से 6 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ा है। गैर जाटव एससी वोटरों ने बीजेपी को वोट दिया है। उसे इस बार गैर जाटव एससी के 14 फीसदी ज्यादा वोट मिले जबकि महागठबंधन को पांच साल पहले के मुकाबले एक फीसदी वोट का नुकसान हुआ है।

आदिवासियों में संथाल और मुंडा का झुकाव बीजेपी की ओर रहा और पांच साल पहले के मुकाबले इस बार क्रमश: 13 और 22 फीसदी ज्यादा वोट मिले। महागठबंधन के वोटबैंक में संथाल वोट दो फीसदी बढ़े जबकि मुंडा के सात फीसदी वोट घट गए। हालांकिस ओरांव जनजाति के 21% वोट बीजेपी से घट गए। इस वर्ग से मात्र आठ फीसदी वोट की बढ़ोत्तरी महागठबंधन के खाते में दर्ज की जा सकी है।