बेंगलुरु: देशभर में नागरिकता कानून के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच कर्नाटक में बेंगलुरु के पास सोंडेकोप्पा गांव में खोला गया पहला डिटेंशन सेंटर शुरू होने जा रहा है। इस डिटेंशन सेंटर में कथित तौर पर गैरकानूनी प्रवासियों और उन अफ्रीकी नागिरकों को रखा जाएगा जो तय समय सीमा से ज्यादा समय देश में गुजार चुके हैं और ड्रग्स के कारोबार में शामिल हैं।

समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार के आदेश पर यहां पर कई कमरों की सुविधा के साथ ही एक किचन और शौचालय का निर्माण किया गया है।

वहीं, कर्नाटक के गृह मंत्री बासवराज बोम्मई ने इसे 'डिटेंशन सेंटर' कहे जाने पर आपत्ति जताई है। मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सही मायने में कहें तो यह डिटेंशन सेंटर नहीं है। नागरिकता के मुद्दे पर किसी को हिरासत में लेने का कोई मकसद नहीं है। उन्होंने डिटेंशन सेंटर के शुरु होने से इंकार किया। उन्होंने कहा कि इस बात को समाज कल्याण विभाग से जांच लें। कम से कम मुझे इसके शुरू होने की कोई जानकारी नहीं है। अगर इसे शुरू किया गया होता तो वहां पर कम से कम कुछ लोगों को बंद किया गया होता, लेकिन वहां कोई नहीं है।

बासवराज बोम्मई के कहा, "इस सुविधा को भारत में तय समय सीमा से अधिक समय तक ठहरने वाले अफ्रीकी नागरिकों और ड्रग्स के कारोबार में शामिल विदेशी नागरिकों को रखने के लिए तैयार किया गया था। उनकी अवैध गतिविधियां देश में कानून और व्यवस्था की स्थिति को खराब करती हैं। यह केवल अफ्रीकी नागरिकों को वहां रखने और वापस भेजने के लिए तैयार किया गया है। समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें सेंट्रल रिलीफ कैंप को पहली जनवरी से पहले तैयार रखने के निर्देश मिले हैं।

20 साल पुरानी यह इमारत पहले गरीब और समाज के पिछड़े समुदाय के छात्रों के लिए 18 सालों से भी अधिक के लिए एक हॉस्टल थी लेकिन छात्रों की संख्या घटने के कारण अभ्यर्थियों का इंतजार करते हुए पिछले करीब दो सालों से खाली पड़ी थी। इस प्रोजेक्ट में समाज कल्याण विभाग को शामिल किए जाने का कारण समझाते हुए एक अधिकारी ने बताया कि यहां हिरासत में रखे जाने वाले लोगों को खाना, रहने की सुविधा और कपड़े समाज कल्याण विभाग ही मुहैया कराएगा।