नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने के लिए 8,500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि को मंजूरी दे दी है, अधिकारियों ने कहा है। एनपीआर की कवायद अगले साल अप्रैल से शुरू होनी है। एनपीआर देश के "सामान्य निवासियों" की एक सूची है। 2015 के दौरान डोर-टू-डोर सर्वे करके इस डेटा को अपडेट किया गया था। अद्यतन जानकारी का डिजिटलीकरण पूरा हो चुका है। अब असम को छोड़कर सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में अप्रैल से सितंबर 2020 तक जनगणना 2021 की हाउस-लिस्टिंग चरण के साथ राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने का निर्णय लिया गया है।

एनपीआर देश के ‘सामान्य निवासियों’ की सूची है। एनपीआर के उद्देश्य से ‘सामान्य निवासी’ को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी क्षेत्र में पिछले छह महीने या अधिक समय से निवास कर रहा हो या ऐसा व्यक्ति जो उस इलाके में अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक रहना चाहता है।

राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी के लिए 2010 में 2011 की जनगणना में घरों को सूचीबद्ध करने के चरण के साथ आंकड़े एकत्रित किये गये थे। वर्ष 2015 में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया गया और इन आंकड़ों का नवीनीकरण किया गया। संशोधित जानकारी को डिजिटल तरीके से संग्रहित करने का काम पूरा कर लिया गया है। महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कार्यालय की वेबसाइट के अनुसार अब 2021 की जनगणना के घरों को सूचीबद्ध करने के चरण के साथ अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक एनपीआर को अपडेट करने का निर्णय लिया गया है।

यह काम असम को छोड़कर शेष सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में किया जाएगा। इस संबंध में इस साल अगस्त में राजपत्रित अधिसूचना जारी की गयी थी। अधिसूचना में कहा गया, ‘‘नागरिकता (नागरिक पंजीकरण और राष्ट्रीय परिचय पत्र जारी करना) नियम, 2003 के नियम 3 के उप-नियम (4) के अनुरूप केंद्र सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को तैयार करने तथा अपडेट करने का फैसला करती है।’’ एनपीआर में भारत के हर सामान्य निवासी के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा

एनपीआर और एनआरसी में अंतर है। एनआरसी के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद छुपा है। वहीं, छह महीने या उससे ज्यादा समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को एनपीआर में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है।