मेलबर्न : भारत में नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) और नेश्नल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़ंस (NRC) के ख़िलाफ़ जहां जन सैलाब सड़कों पर है, वहीं भारतीय मूल के विदेशों में रहने वाले नागरिक भी मोदी सरकार के इस काले क़ानून के विरोध में पीछे नहीं हैं।

22 दिसम्बर को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में CAA और NRC के ख़िलाफ़ दो स्थानों पर विशाल प्रदर्शनों का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय मूल के हिंदुओं, मुसलमानों, सिखों और ईसाईयों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की विभाजनकारी नीतियों की कड़ी आलोचना की और संविधान विरोधी काले क़ानून CAA को तुंरत वापस लेने पर ज़ोर दिया।

मेलबर्न में संसद की इमारत के सामने वरिष्ठ शिया धर्मगुरु मौलाना सैय्यद अबुल क़ासिम रिज़वी के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने मोदी सरकार के नीतियों के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की।

विरोध प्रदर्शन में मौजूद मोरलैंड की काउंसलर सू बोल्टन ने "आज़ादी" का नारा लगाया। साम्राज्यवाद और पूंजीवाद के ख़िलाफ़ यह नारा भारत और विश्व भर में वायरल हो चुका है।

ऑस्ट्रेलिया में मुसलमानों के वरिष्ठ धर्मगुरु मौलाना रिज़वी ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने भेदभावपूर्ण क़ानून पारित करके भारतीय संविधान की रूह पर हमला किया है और यह सरकार देश की लोकतांत्रिक सरंचना के ख़िलाफ़ बड़ी साज़िश रच रही है।

उन्होंने कहा कि सुन्दरता किसी गुलदस्ते की तरह उसकी विविधता में है, जिसे बड़ी चालाकी के साथ निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन लोग अब होशियार हो चुके हैं और जिस तरह से उन्होंने अग्रेंज़ों के ख़िलाफ़ एकजुट होकर संघर्ष किया था और आज़ादी हासिल की थी, आज इन काले अंग्रेज़ों के मुक़ाबले में एकजुट होकर डट गए हैं और इन्हें भगाकर ही दम लेंगे।

मौलाना अबुल क़ासिम के भाषण से विरोध प्रदर्शन में मौजूद में लोग इतने प्रभावित हुए कि कई लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी भावनाओं का इज़हार करते हुए कहा कि हम हिंदू या सिख होने के बावजूद, ऑस्ट्रेलिया में मौलाना को अपना धार्मिक नेता मानते हैं।

CAA और NRC का विरोध करने वाले जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों पर पुलिस की बर्बरता के ख़िलाफ़ मेलबर्न के फ़ेडरेशन स्क्वायर पर ऑस्ट्रेलिया में भारतीय यूनिवर्सिटियों के सीनियर छात्रों ने एक विशाल प्रदर्शन का आयोजन किया और नागरिकों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकारों पर बल दिया।

प्रदर्शन में शामिल लोगों ने "हिंदू मुस्लिम एक हैं, मोदी शाह फ़ेक हैं", "आज़ादी आज़ादी बीजेपी से आज़ादी", "साम्प्रदायिकता मुर्दाबाद, सेक्यूलरिज़्म ज़िंदाबाद", "गली गली में शोर है, मोदी शाह चोर हैं", जैसे नारे लगाए।

प्रदर्शनकारियों को मौलाना अबुल क़ासिम समेत विशिष्ट हिंदू, सिख और ईसाई हस्तियों ने संबोधित किया और यह संकल्प लिया कि इस काले क़ानून को वापस लिए जाने तक वे भी चैन से नहीं बैठेंगे और भारत में अपने भाई बहनों के साथ कांधे से कांधा मिलाकर इसके ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करते रहेंगे।