नई दिल्ली: बैंक अपने 'ग्राहक को जानो' (KYC) फॉर्म में एक नया कॉलम जोड़ने वाला है। इसमें जमाकर्ता के धर्म की जानकारी मांगी जा सकती है।नियमों में बदलाव मुसलमानों को छोड़कर चुनिंदा धार्मिक अल्पसंख्यकों को एनआरओ अकाउंट खोलने तथा संपत्ति खरीदने की सुविधा देने के लिए किया गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जब अधिकांश लोगों का ध्यान वित्तीय संकट की तरफ था तो रिजर्व बैंक ने धार्मिक भेदभाव करने वाला यह संशोधन कर दिया।

विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम में 2018 में संशोधन किया गया था। नए नियम के मुताबिक इसे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों तक सीमित कर दिया गया था जो लॉन्ग टर्म वीजा रखते हैं। ये लोग भारत में रिहायशी संपत्ति खरीद सकते हैं और बैंक खाता खोल सकते हैं। संशोधन के बाद मुस्लिम प्रवासियों, म्यांमार, श्रीलंका और तिब्बत के प्रवासियों को बाहर कर दिया गया था।

फेमा नियमों में हुए बदलाव के बाद जमाकर्ताओं के धर्म जानने की आवश्यकता हुई जिससे चुनिंदा धार्मिक अल्पसंख्यकों को एनआरओ अकाउंट खोलने तथा संपत्ति खरीदने की सुविधा दी जा सके। इसलिए बैंक अब अपने केवाईसी फॉर्म में धर्म की जानकारी मांग सकते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह बदलाव 2018 में किया गया था जब अधिकांश लोगों का ध्यान वित्तीय संकट की तरफ था।