आंदोलन को हिंसक बनाने की कोशिश कर रही भाजपा:आराधना मिश्रा ‘‘मोना’

लखनऊ: कांगे्रस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी व कांगे्रस विधान मण्डल दल की नेता आराधना मिश्रा ‘‘मोना’’ ने कहा है कि लोकतन्त्र में सरकार का प्रथम कर्तव्य होता है कि यदि कहीं असंतोष है या आग लगी है तो वह उसे बुझाती है ओर स्थिति को सामान्य करती है – परन्तु यहांॅ भारतीय जनतापार्टी की केन्द्रीय सरकार ने शान्त भारत देश को जबरदस्ती अशांत कर दिया है और राजनैतिक आग लगा दी है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें नौजवान आगे आये है । धर्म, जाति और मजहब की दीवार टूट गयी है । आन्दोलन को जितना दबाया जा रहा है वह उतना ही ज्यादा उभर रहा है । सरकार अहंकार को छोंड़े और नागरिकता संशोधन कानून को वापस ले । लोकतन्त्र में सरकार दबंगई से नहीं बल्कि जन सहयोग से चलती है ।

नेता द्वय ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति, तथा नागरिकता संशोधन कानून और राम मंदिर का मुद्दा राज्यों के चुनाव में उठाने के बाद भी हरियाणा में भा.ज.पा. अपने पुराने प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाई, उसके मतों के प्रतिशत में भी गिरावट आई, सीटें भी बहुमत से कम मिली, और घुटने टेक कर ‘‘चौटाला परिवार’’ से गठबंधन करके सरकार बनाई । महाराष्ट्र में मत प्रतिशत भी कम हुआ, सीटेे भी घटी, और सरकार भी नहीं बना पाई। झारखण्ड में मतों का प्रतिशत भी घट रहा है, सीटें भी कम हो रही है और पूर्ण संभावना है कि भा.ज.पा. सरकार भी नहीं बन रही है ।

पिछले 3- 4 महीने से लगातार देश में अपने आर्थिक मोर्चे पर असफलता को छिपाने के लिये ‘‘मोदी सरकार’’ असामयिक निर्णय ले रही है जिससे जनता का ध्यान पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी, विगत 3 सालों में सर्वाधिक महंगाई, अराजकता और आर्थिक बर्बादी से हट सके, यह अत्यंत खतरनाक रास्ता है ।

नेता द्वय ने आम जनता से विनम्र और पुरजोर अपील की है कि हर हाल में अमन और शांति बनाये रखें, तथा आन्दोलन जो भारत देश के पवित्र संविधान की रक्षा के लिये हो रहा है उसे किसी भी परिस्थिति में, किसी भी स्तर पर हिंसक न होने दें, और शांति – सौहार्द तथा अमन चैन बनाये रखें । यह संशोधन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के विपरीत है, यही नहीं संविधान के प्रथम पृृष्ठ पर अंकित प्रस्तावना की ‘‘मूल भावना’’ के विरुद्ध है, जो समानता की गारण्टी तथा आम आदमी के मौलिक अधिकारों का हनन है । इसके खिलाफ आन्दोलन भारतीय संविधान की उसी मूल भावना की रक्षा के लिये है, और इसकी रक्षा संविधान की मूल भावना के अनुरूप ही होनी चाहिए, हिंसा किसी भी स्तर पर ठीक नहीं है ।

नेता द्वय ने कहा है कि CAA और NRC का मुद््दा ‘‘बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक’’ का विवाद नहीं है बल्कि ये ‘‘अमीर बनाम गरीब’’ का विवाद है । अपनी नागरिकता को साबित करने के लिये अमीर के पास सैकड़ों हथकण्डे है परन्तु गरीब, अशिक्षित, दलित, पीड़ित और पिछड़े लोगों के लिये अपनी नागरिकता साबित करना मुष्किल तथा कष्टप्रद रास्ता है, इसीलिये यह नागरिकता संषोधन कानून लाया गया तो जब छण्त्ण्ब् लागू होगी तो सबसे अधिक नुकसान गरीब लोगों का ही होगा, अतः ये लड़ाई अमीर बनाम गरीब की है ।

नेता द्वय ने कहा है कि भारतीय जनतापार्टी की हर कोशिश है कि इस आन्दोलन को हिंसक बनाया जाय- परन्तु आन्दोलनकारी इसे हिंसक न होने दें, और गांॅधी जी के बताये राह पर चलकर अहिंसा के दामन को न छोंड़े । संविधान की रक्षा भी करें, पूरी शक्ति के साथ गांॅधीवादी तरीके से आन्दोलन चलायें, और शांति भी बनाये रखें, तथा हिंसा किसी भी स्तर पर न होने दें ओर न ही करें ।