नई दिल्ली: कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ रविवार को राजघाट पर धरना देने का फैसला किया है, जिसमें पार्टी के शीर्ष नेताओं के शामिल होने की संभावना है। यह धरना 2 बजे दोपहर से रात 8 बजे तक चलेगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद पार्टी सूत्रों ने बताया कि छात्रों के आंदोलन के समर्थन और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ यह धरना दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार इस धरने में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं के भाग लेने की संभावना है।

कांग्रेस नागरिकता संशोधन कानून को ''असंवैधानिक'' करार देते हुए इसका खुलकर विरोध कर रही है। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को एक बयान जारी कर नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को संविधान की मूल आत्मा के खिलाफ करार देते हुए दावा किया कि जनता की आवाज दबाने के लिए सरकार द्वारा तानाशाही का तांडव हो रहा है उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि नागरिकता कानून और एनआरसी के नाम पर गरीब लोगों को प्रताड़ित किया जाएगा।

अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि भाजपा के ‘‘फासीवादी शासन’’ के विरोध में कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अपने राज्यों में 22 दिसंबर से संविधान की रक्षा के लिए मार्च आयोजित करेंगे।

वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘कांग्रेस शासित राज्यों में इस कानून को लागू करने का सवाल ही नहीं उठता। यह असंवैधानिक कानून है। राज्यों को असंवैधानिक कानून लागू करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।’’ वेणुगोपाल ने कहा कि भाजपा नीत सरकार द्वारा लाया गया सीएए हमारे संविधान के उस आधारभूत ढांचे के खिलाफ है जो कानून के प्रति समानता सुनिश्चित करता है।

उन्होंने कहा, “हमारा संविधान कहता है कि राज्य कानून के समक्ष किसी भी व्यक्ति को समानता के अधिकार से वंचित नहीं करेगा। भाजपा सरकार संविधान के इस मूल सिद्धांत को नष्ट करने के लिए कानून लेकर आई। सरकार लोगों को धर्म के नाम पर बांट रही है। यह स्वीकार नहीं किया जाएगा।”

वेणुगोपाल ने सीएए को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दिए जाने का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘किसी असंवैधानिक कानून को लागू कराना राज्यों की जिम्मेदारी नहीं है।” कांग्रेस नेता ने कहा कि सीएए का विरोध कोई राजनीतिक लड़ाई नहीं है।

उन्होंने कहा, “यह सत्तावादी सरकार के विरोध में एक बड़ा जनांदोलन है। कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता इस आंदोलन में भाग लेंगे।” वेणुगोपाल ने कहा कि इस देश के लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस के नेतृत्व में शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर निर्दयी अंग्रेजों को बाहर निकाला था।

इसलिए अगर यह सरकार सोचती है कि वह जनता की आवाज को बल के प्रयोग से दबा देगी तो वह इसमें सफल नहीं होगी। वेणुगोपाल ने यह बयान अलप्पुझा में अपनी गिरफ्तारी के बाद दिया। उन्होंने अलप्पुझा जिला कांग्रेस समिति द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था।