नई दिल्ली: स्वास्थ्य देखभाल तक सार्वभौमिक पहुंच वाले भारत सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप कदम बढ़ाते हुए पीरामल फाउंडेशन की प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पहल ’पीरामल स्वास्थ्य मैनेजमेंट एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट’ और ’रॉकफेलर फाउंडेशन’ ने आज एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की। प्रारंभिक चरणों में, साझेदारी का उद्देश्य डिजिटल तकनीक का लाभ उठाकर ’एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स’ या ’आंकाक्षी जिलों’ सहित आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाली माताओं और बच्चों के बीच रोकी जा सकने वाली मौतों की रोकथाम के लिए काम करना है। पीरामल स्वास्थ्य और रॉकफेलर की टीमें सरकार के साथ मिलकर प्राथमिक स्वास्थ्य नवाचारों के निर्माण और नीतिगत हस्तक्षेपों के माध्यम से उन्हें बढ़ाने पर काम कर रही हैं। साझेदारी साक्ष्य आधारित निर्णय लेने के लिए कृ़त्रिम बुद्धिमत्ता जैसी प्रौद्योगिकियों को जोड़ते हुए स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करेगी। यह विचार, प्रभावी नीति निर्माण और केंद्रित हस्तक्षेपों को लागू करने के लिए उचित और समय पर अंतर्दृष्टि प्रदान करके मातृ और बाल मृत्यु को बचाने के संदर्भ में आया है। पीरामल-रॉकफेलर साझेदारी नीति आयोग की ओर से उल्लेखित 25 एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स में से पांच जिलों पर केंद्रित है। यह जिले, भारत सरकार की ओर से तत्काल स्वास्थ्य और विकास की जरूरतों के रूप में पहचाने गए 117 एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स में भी शामिल हैं। इन जिलों के कई निवासी जनजातीय आबादी के सदस्य हैं, जिनके गैर-जनजातीय आबादी की तुलना में काफी खराब स्वास्थ्य परिणाम हैं। भारत में मातृ मृत्यु दर प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 122 मृत्यु है, जबकि आदिवासी समुदायों में यह और भी अधिक है। इसी तरह, अन्य स्वास्थ्य संकेतक जैसे कि शिशु मृत्यु दर, बाल कुपोषण दर, मलेरिया और तपेदिक आदि के मामले भी आदिवासी समुदायों में सामान्य आबादी की तुलना में बहुत अधिक हैं।
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