लखनऊ में पसमांदा मुस्लिम समाज के 8वें राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन

लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व राज्यमंत्री अनीस मंसूरी ने कहा कि हाल ही में लोकसभा और राज्य सभा से पास हुआ नागरिकता कानून (सी.ए.बी) भारतीय संविधान की मुल भावना के विपरीत है। यह कानून मुसलमानों में खासकर पसमांदा मुसलमानों को देश से दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की एक सोची समझी साजिश है। श्री मंसूरी शनिवार को रविन्द्रालय में पसमांदा मुस्लिम समाज के 8वें राष्ट्रीय अधिवेशन में बोल रहे थे। अधिवेशन में देश के विभिन्न राज्यों से आये पसमांदा मुस्लिम समाज के पदाधिकारियों ने भाग लिया।

पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा कि नागरिक संशोधन कानून में सिर्फ मुसलमानों को बाहर रखना केन्द्र सरकार की मुस्लिम विरोधी मानसिकता दर्शाती है। इस मामले में देश के राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट को इसका संज्ञान लेना चाहिए। अनीस मंसूरी ने कहा कि देश के मुसलमानों को इस बात पर कोई एतराज नही है कि नागरिकता संशोधन कानून में हिन्दुओं अथवा अन्य धर्मो के लोगों को शामिल किया गया है। उन्होनें कहा कि मुसलमानों को एक षड़यंत्र के तहत सूची में शामिल नही किया गया है।

अनीस मंसूरी ने कहा कि आज पसमांदा समाज अपने ही देश में अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहा है और अपने हक़ व हुक़ूक़ के लिए यहाॅ इकट्ठा हुए है। श्री मंसूरी ने पिछड़ो व दलित मुस्लिम जातियों के आरक्षण पर कहा कि भारत सरकार ने अनुच्छेद 341ए के पैरा 3 पर लगे धार्मिक प्रतिबंध के सम्बन्ध में दिनांक 01-11-2019 को अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया है। इससे पहले की सरकारें जवाब दाखिल करने में आना-कानी कर रही थीं, लेकिन ये पसमांदा मुस्लिम समाज की हिक़मत अमली थी, जो सरकार ने जवाब दाखिल कर दिया है। अब आगे कोर्ट में सुनवायी जारी हो सकेगी। पसमांदा मुस्लिम समाज का मानना है कि टकराव से नही हिकमत से काम लेना है। सरकारें 341 को लेकर 70 साल से भूल कर रही है, इस गलती के कारण पसमांदा आबादी मुख्य धारा से कट गयी।

चेन्नई से आये हारून अंसारी ने कहा कि मौजूदा दौर में साम्प्रदायिक असमानता बढ़ गयी है, जिसे रोकना बेहद ज़रूरी हो गया है। सरकार की गलत नीतियों के कारण पसमांदा मुसलमानों के रोज़गार व व्यापार, कारीगरी और दस्तकारी चैपट हो गयी है और इसके मुकाबले अपना व्यापार व रोज़गार स्थापित नही हो पा रहा है। हमारे बीच ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये जो पसमांदा मुसलमानों को उद्यमी बनाने में सहयोग करे। हिन्दू दलितों के लिये तमाम कानून बने है, लेकिन दलित मुसलमान को इस कानून में जगह नही दी गयी है। पसमांदा मुसलमानों के कारोबार को खड़ा करने के लिये व्यापारिक संगठन बनाने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम संयोजक शकील मंसूरी ने कहा कि पसमांदा मुसलमान अभी तक दलित मुस्लिम घोषित होने से महरूम है। श्री मंसूरी ने कहा कि सरकार को 341/3 पर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुकद्में में प्रतिदिन सुनवाई कराकर न्याय दिलाने का कार्य किया जाये।

कार्यक्रम का उद्घाटन वसीम राईनी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने की। इस अवसर पर पसमांदा मुस्लिम समाज का 9 सूत्री मांगपत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजा गया।

अधिवेशन में मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री एहसान मंसूरी, फुलवारी शरीफ पटना के डाॅ0 फिरोज़ अहमद, अजमेर के रियाज़ अहमद, आंध्र प्रदेश से मस्तान वली, तेलंगाना से शेख सिद्दीक सिद्दा डुडेकुलाॅ, कर्नाटक से मौला नद्दफ, पंजाब से अम्बर रज़ा, छत्तीसगढ़ से अब्दुल खालिक, हिमाचल से इकबाल नद्दाफी, उत्तराखण्ड से इं. शमीम अंसारी और दिल्ली से डाॅ0 मकदूम, फरीदाबाद से मो0 शाहनवाज़, मुम्बई से अब्दुल समद इदरीसी, बरेली से हाजी अंजुम अली, मुख्तार मंसूरी, महबूब लारी अंसारी, अनवार अहमद गद्दी, डाॅ0 याकूब अली, नसीम बंजारा, हारून फरीदी व मो0 समी खटाना सहित विभिन्न राज्यों के सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे।