नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता (संशोधन) बिल (सीएबी) को अपनी मंजूरी दे दी है। गुरुवार देर रात राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह बिल अब कानून बन गया है। गौरतलब है कि लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी इसे पारित कर दिया था।

राष्ट्रपति कोविंद के हस्ताक्षर के बाद नागरिकता कानून, 1955 में संबंधित संशोधन हो गया। इससे तीन पड़ोसी इस्लामी देशों- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत की शरण में आए गैर-मुस्लिम धर्मावलंबियों को आसानी से नागरिकता मिल सकेगी।

आधिकारिक अधिसूचना के मुताबिक गुरुवार को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ ही यह कानून लागू हो गया है। इस कानून के मुताबिक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें उनके देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता (संशोधन) विधेयक बुधवार को राज्यसभा द्वारा और सोमवार को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।

इस बीच नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद उत्तर-पूर्वी राज्यों में स्थिति तनावपूर्ण है। गुवाहाटी में 2 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है। अडिशनल चीफ सेक्रेटरी कुमार संजय मिश्रा ने बताया कि 10 जिलों (लखीमपुर, तिनसुकिया, धेमाजी, डिब्रूगढ़, कारेडियो, सिवसागर, जोरहाट, गोलाहाट, कामरुप) में मोबाइल सर्विस बंद करने की समय सीमा 48 घंटे और बढ़ा दी है। वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी सहयोगी पार्टी आईपीएफटी को भरोसा दिलाया कि मोदी सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर उनकी चिंताओं का ख्याल रखेगी।

पूर्वोत्तर के मूल निवासियों का कहना है कि बाहर से आकर नागरिकता लेने वाले लोगों से उनकी पहचान और आजीविका को खतरा है। लिहाजा आसू और अन्य संगठन विधेयक के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।

वहीं कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियां इस कानून को संविधान का उल्लंघन कह रही हैं और भारत के मूल विचारों के खिलाफ बता रही हैं। कांग्रेस ने संसद में भी इस बिल का विरोध किया था और गिनाया था कि ये बिल अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है, जो कि समान नागरिकता का हल देता है।