लखनऊ: सीएसआईआर-सीडीआरआई की रेपिड फ़ेक्चर हीलिंग के लिए शीशम (डलबर्जिया सिसो) से निर्मित मुंह से ली जाने वाली (ओरल) नवीन टेक्नोलॉजी रीयूनियन® को सोसाइटी फॉर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट द्वारा स्टेम (STEM) इंपैक्ट अवार्ड प्रदान किया गया।

सोसाइटी फॉर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट (STEM) एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो उच्च सामाजिक-आर्थिक प्रभाव बनाने वाली एवं सामाजिक-आर्थिक रूप से सफल प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण की प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने के लिए एक सुविधाजनक वातावरण प्रदान करता है और प्रौद्योगिकी प्रबंधन के लिए सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों अथवा परम्पराओं को भी प्रोन्नत करता है। सीएसआईआर-सीडीआरआई की रेपिड फ़ेक्चर हीलिंग की नवीन टेक्नोलॉजी रीयूनियन® ने समाज में एक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव बनाने की दिशा में इस संस्था के अनुसार सर्वोत्तम प्रदर्शन किया है जिसकी वजह से इसे स्टेम इम्पैक्ट अवार्ड के लिए चुना गया।
रेपिड फ़ेक्चर हीलिंग की इस नवीन टेक्नोलॉजी रीयूनियन® को विकसित करने के पीछे संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम जिनमे डॉ राकेश मौर्य, डॉ रितु त्रिवेदी, डॉ दिव्या सिंह, प्रीति दीक्षित, विक्रम खेडगीकर, ज्योति गौतम, अविनाश कुमार, शैलेंद्र पी. सिंह, डॉ मोहम्मद वहाजुद्दीन, डॉ गिरीश के. जैन और डॉ नैबेद्य चट्टोपाध्याय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

यह पुरस्कार, दुनिया भर में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हेतु मदद करने एवं बढ़ावा देने वाली अमेरिकी संस्था एयूटीएम, यूएसए के अध्यक्ष श्री मार्क सेडम, द्वारा हैदराबाद में आयोजित स्टेम (एसटीईएम) के शिखर सम्मेलन के दौरान प्रदान किया गया। सीएसआईआर-सीडीआरआई की ओर से इस पुरस्कार को डॉ नैबेद्य चट्टोपाध्याय, मुख्य वैज्ञानिक और श्री नसीम अहमद सिद्दीकी, प्रधान वैज्ञानिक ने प्राप्त किया। फ्रैक्चर हीलिंग के लिए यह तकनीक वर्ष 2016 से भारतीय बाजार में रीयूनियन® के नाम से उपलब्ध है और जल्द ही इसे अमेरिकी बाजार में लॉन्च किया जाएगा।