हिंसक प्रदर्शनों को रोकने के लिए सेना की 26 टुकड़ियां तैनात

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल को लेकर असम और पूर्वोत्तर के राज्यों में भारी विरोध प्रदर्शन जारी हैं। असम में हिंसक प्रदर्शनों को देखते हुए केंद्रीय सशस्त्र बलों के समर्थन के लिए भारतीय सेना की 26 टुकड़ियों को तैनात किया गया है।

नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन और इन्हें थामने के लिए लगे कर्फ्यू से पूर्वोत्तर के राज्यों में आम लोगों की जिंदगी थम सी गई है। हिंसक प्रदर्शन की चपेट में आने का डर और कर्फ्यू की पाबंदियों के चलते लोगों की जिंदगी घरों में ही कैद होकर रह गई है। कर्फ्यू लागू होने के दूसरे दिन यानि शुक्रवार को कुछ समय के लिए बाजार खुले तो खरीदारों की लंबी कतार लग गई और रोजमर्रा की वस्तुओं की दुकानों का स्टॉक देखते ही देखते खत्म हो गया।

दरअसल लोगों के बीच यह खबर पहुंची कि प्रशासन ने कर्फ्यू में ढील दे दी है। यह जानकारी मिलते ही लोग राशन का सामान खरीदने के लिए घरों से निकल पड़ पड़े। वे कार और दोपहिया वाहनों से बाजार पहुंचने लगे। कर्फ्यू में ढील की जानकारी मिलने पर दुकानदार भी दुकानें खोलने के लिए पहुंच गए। प्रशासन ने कर्फ्यू में ढील की सूचनाओं को अफवाह करार देकर उन्हें खारिज कर दिया। हालांकि राशन लेने के लिए निकले लोगों को रोकने और दुकानें बंद कराने में कोई सख्ती नहीं दिखाई दी।

यही वजह रही कि दुकानों पर लंबी-लंबी कतारें लग गईं। लोग मुंह मांगे दाम देने को तैयार थे। देखते ही देखते दुकानों पर खाद्य वस्तुओं का स्टॉक खत्म होने लगा। कई ग्राहकों को शिकायत थी कि दुकानदार ज्यादा कीमत वसूलने की कोशिश कर रहे हैं। लोगों को लग नहीं रहा है कि अगले तीन-चार दिनों तक हालात सामान्य हो पाएंगे। इस वजह से उनकी कोशिश रही कि राशन का पर्याप्त स्टॉक कर लिया जाए।

विरोध प्रदर्शन के चलते दिमापुर में पेट्रोल और डीजल की भी किल्लत हो गई है। फ्यूल टैंकरों का ‍आवाजाही लगभग थम गई है। इस वजह से पेट्रोल पंपों में स्टॉक खत्म होने लगा है। दिमापुर के कई पेट्रोल पंपों पर लंबी लाइनें दिखीं। हालांकि कर्फ्यू के कारण वाहनों का आवागमन थमने से पेट्रोल और डीजल की बिक्री कम गई है।

हिंसक प्रदर्शनों पर नियंत्रण के लिए पूर्वोत्तर के कई शहरों में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। मेघालय में भी स्थिति नियंत्रण से बाहर होती देख प्रशासन ने वहां भी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ सहित कई शहरों में पहले से ही इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। दरअसल ट्विटर, यूट्यूब, व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल आंदोलनकारियों को इकट्ठा करने और हिंसा फैलाने के लिए हो रहा है, इसे रोकने के लिए इंटरनेट सेवाएं रोकी गई हैं। लेकिन इंटरनेट सेवाएं बंद होने से बैंकिंग, एजूकेशन सहित तमाम तरह की ऑनलाइन सेवाएं भी ठप हो गई हैं।

वैसे तो प्रदर्शन और कर्फ्यू के चलते ज्यादातर बैंक बंद हैं, अशांत माहौल में पूर्वोत्तर में बैंकों के एटीएम भी खाली हो रहे हैं। जिन एटीएम में कैश बाकी हैं, वहां ग्राहकों की लंबी लाइनें लगने लगी हैं। इंटरनेट सेवाएं बंद होने के कारण मोबाइल वॉलेट बेकार हो गए हैं। ऐसे में नकदी ही लोगों के जीवन का सहारा रह गया है। नकदी की मांग बढ़ने की वजह से एटीएम से ज्यादा कैश निकाला जा रहा है।