लखनऊ: नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा और राजयसभा पास हो चूका है, और अब यह क़ानून बन गया है,लेकिन इस पर बवाल जारी है,इस मामले पर पासबाने वतन फाउंडेशन के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद आज़म हशमती ने कहा है कि यह कानून देश की संस्कृति की "वसुधैव कुटुम्बकम्" की हजारों साल पुरानी अवधारणा और डॉ. भीमराव आम्बेडकर रचित संविधान के खिलाफ है।
मौलाना हशमती ने कहा हमारे संविधान के निर्माता बाबा साहब आंबेडकर ने कहा था कि भारत में बसे हर व्यक्ति को किसी जाति या धर्म विशेष के दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि देश के एक नागरिक के रूप में देखा जाएगा। ऐसे में यह विधेयक (नागरिकता संशोधन विधेयक) संविधान की मूल भावना के विपरीत है, क्योंकि देश के नागरिकों को उनके धर्म के आधार पर पहले कभी नहीं देखा गया था।
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) भारतीय संस्कृति की "वसुधैव कुटुम्बकम्" (पूरी पृथ्वी ही एक परिवार है) की उस हजारों साल पुरानी अवधारणा के भी खिलाफ है जिसके तहत देश की माटी ने हमेशा सबको अपनाया है। मौलाना ने कहा कि भारत के संविधान में से स्पष्ट रूप से कहीं गई है कि देश की सरकार किसी धर्म विशेष की नहीं बल्कि धर्म निरपेक्ष होगी और यही भारत का शुरू से सिद्धांत रहा है।
उन्होंने कहा यह न सिर्फ भारत के संविधान बल्कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के भी विरुद्ध है, जिसमें किसी भी देश के नागरिक को उसके धर्म, जाति, क्षेत्र, लिंग या रंग के आधार पर उस से भेदभाव से रोकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार देश में बढ़ रही महंगाई ओर बेरोजगारी पर ध्यान केंद्रित करने की बजाए धर्म के नाम पर सियासत कर रही हैं, मौलाना हशमती ने सरकार से बेरोजगारी, महंगाई और बिगड़ती अर्थव्यवस्था की तरफ ध्यान देने की अपील की और ऐसे मुद्दों को छोड़कर देश को प्रगति पर ले जाने की नसीहत दी।
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