नई दिल्ली: लोकसभा से पारित होने के बाद नागरिकता संशोधन बिल आज यानी बुधवार को राज्यसभा में पेश कर दिया गया। गृहमंत्री अमित शाह ने इस विधेयक को पेश किया। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस विधेयक को संविधान के खिलाफ बताते हुए विरोध कर रहे हैं।

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान वाले इस विधेयक को पेश करते हुए उच्च सदन में गृह मंत्री ने कहा कि इन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों के पास समान अधिकार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इन देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी कम से कम 20 फीसदी कम हुई है। इसकी वजह उनका सफाया, भारत प्रवास तथा अन्य हैं।

कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा, “सरकार जो विधेयक ला रही है, ये पूरी तरह से गैर-संवैधानिक है। हमारी जिम्मेदारी बनती है कि वही पास करें जो सही हो, अगर यदि गैर-संवैधानिक बिल को हम पास करते हैं तो बाद में सुप्रीम कोर्ट इस बिल का भविष्य तय करेगी। पी. चिदंबरम बोले कि मुझे पूरा विश्वास है कि ये बिल अदालत में नहीं टिकेगा। पी. चिदंबरम ने कहा कि ये बिल अनुच्छेद 14 की बातों का उल्लंघन करता है, जिसमें समानता का अधिकार शामिल है। इसमें जो कानूनी कमियां हैं, उसका जवाब कौन देगा और जिम्मेदारी कौन लेगा। यदि कानून मंत्रालय ने इस बिल की सलाह दी है तो गृह मंत्री को कागज रखने चाहिए, जिसने भी इस बिल की सलाह दी है उसे संसद में लाना चाहिए. 1. आपने तीन देशों को ही क्यों चुना, बाकी को क्यों छोड़ा? 2. आपने 6 धर्मों को ही क्यों चुना? 3. सिर्फ ईसाई को क्यों शामिल किया? 4. भूटान के ईसाई, श्रीलंका के हिंदुओं को क्यों बाहर रखा?