नई दिल्ली: नागरिक संशोधन बिल पर राज्य सभा में बहस के दौरान कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि टू नेशन थ्योरी पहले कांग्रेस ने नहीं बल्कि हिंदू महासभा ने अपने बैठक में स्वीकार की। दरअसल, अमित शाह द्वारा देश विभाजन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराए जाने पर आनंद शर्मा अपने भाषण के दौरान जवाब दे रहे थे। उन्होंने इस बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि मैं इस बिल से सहमत नहीं हूं। इस बिल को पास होने को इतिहास किस रूप में इसे याद करेगा, यह तो वक्त बताएगा। लेकिन, मैं सरकार के इस फैसले का विरोध करता हूं।

आनंद शर्मा ने कहा कि वर्तमान सरकार अपने जिद पर अड़ी है। मेरे विरोध का कारण संवैधानिक और नैतिक है। मेरा विरोध राजनीतिक नहीं है। यह विधेयक देश की आत्मा को ठेस पहुंचाएगा। यह संविधान के प्रस्तावना के खिलाफ है। इस बिल के जरिए सरकार 72 सालों के बाद यह साबित करना चाहती है कि संविधान निर्माता मूर्ख थे। नागरिकता बिल 1955 में आया, उसके बाद 9 बार संशोधन हुआ। लेकिन, कभी इस तरह का टकराव नहीं हुआ। यदि सरकार बिल लाकर नागरिकता की नई परिभाषा देना चाहती है तो यह इतिहास का अपमान करना होगा। यह इतिहास के साथ अन्याय होगा। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि 1943 व 1948 की घटना को हिन्दुस्तान नहीं भूल सकता है। जब अंग्रेजों के सामने हिंदू महासभा व मुस्लिम लीग ने देश के बंटवारे की मांग की थी।

शर्मा ने कहा, हिन्दुस्तान के बंटवारे के बाद भारत की संविधान सभा ने व्यापक चर्चा की थी। बंटवारे की पीड़ा पूरे देश को थी। जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी थी, उनको मालूम था कि नागरिकता का बंटवारे के बाद क्या महत्व है। पूर्वी पाकिस्तान से आए दो लोग भी भारत के प्रधानमंत्री बने, जिनमें मनमोहन सिंह यहां राज्यसभा में बैठे हैं। नागरिकता बिल में 9 बार संशोधन हुआ लेकिन किसी भी सरकार ने धर्म को आधार नहीं बनाया।