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अवैध हथियार पर अब उम्र क़ैद, हर्ष फायरिंग पर होगी जेल

नई दिल्ली: लोकसभा के बाद आर्म्स संशोधन बिल मंगलवार को राज्यसभा से भी पारित हो गया। बिल में एक लाइसेंस पर दो हथियार रखने का प्रावधान है। अभी कोई भी व्यक्ति अधिकतम तीन हथियार रख सकता है। बिल की मंजूरी के बाद तीसरा हथियार 90 दिनों के भीतर अथॉरिटी या अधिकृत शस्त्र विक्रेता के पास जमा कराना होगा। अवैध हथियार बनाने वालों को आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। हथियारों के नवीनीकरण के लिए अब समय सीमा 3 साल से बढ़ाकर 5 साल कर दी गई है।

इससे पहले सोमवार को बिल लोकसभा ने पारित कर दिया था। बिल में कई प्रावधानों को सख्त कर दिया गया है। जो हथियार आतंकी और नक्सली पुलिसकर्मी से छीन लेते हैं उसमें भी अब आजीवन कारावास की सजा मिलेगी। पहले इसमें 6 साल की सजा थी। संगठित अपराध और सिंडिकेट को हथियार सप्लाई करने वालों के लिए भी आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।

हर्ष फायरिंग खतरा बन गई है और अब ऐसा करने वालों को जेल जाना होगा। हर्ष फायरिंग पर दो साल कैद या एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों ही सजा का प्रावधान किया गया है। बिल का खिलाड़ियों, पूर्व और मौजूदा सैनिकों को मिलने वाले हथियार के लाइसेंस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। तीरंदाजी और निशानेबाजी में शामिल खिलाड़ियों की जरूरत को देखते हुए इसमें उन्हें और विभिन्न तरह के हथियार के लाइसेंस देने की व्यवस्था की गई है। इसी तरह सैन्यबल के अवकाश प्राप्त अधिकारी की शस्त्र की पूर्व संख्या को भी उसी तरह से रखा गया है और उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।

अवैध निर्माण, आयात या निर्यात, बिना अनुमति के हथियारों की बिक्री को लेकर सजा में वृद्धि की गई है। अवैध हथियार बनाने, खरीदने-बेचने, तस्करी करने या गिरोहों को हथियार पहुंचाने के दोषी को भी उम्रकैद की सजा हो सकेगी। गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि अवैध हथियारों और गोला बारूद पर नियंत्रण जरूरी है। यह बिल अवैध हथियार बनाने के खिलाफ लाए हैं। कुछ जगहों पर अवैध हथियार लघु उद्योग की तरह बन रहे हैं। चर्चा में हुसैन दलवई (कांग्रेस), सुभाशीष चक्रवर्ती (एआईटीसी), एन चंद्रशेखरन (एआईएडीएमके), सुखराम सिंह यादव (सपा) और प्रसन्ना आचार्य ने भाग लिया।

एक अनुमान के अनुसार, भारत में कुल 35 लाख के पास आर्म्स लाइसेंस है। इनमें 13 लाख यूपी के हैं। यूपी के बाद सबसे ज्यादा लाइसेंस 3.7 लाख जम्मू और कश्मीर में हैं जिनमें अधिकांश ने निजी सुरक्षा के आधार पर लाइसेंस ले रखा है।

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