लखनऊ: आल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के तत्वाधन में दरगाह हज़रत मख्दूम शाहमीना शाह से जुलूस-ए-गौसिया शानो शौकत के साथ बरामद हुआ जो मेडिकल चौराहा होता हुए मेडिकल कालेज स्थित दरगाह हाजिर हरमैन में जाकर सलातो सलाम व दुआ के बाद समाप्त हुआ जुलूस की वापसी के उपरान्त दरगाह हज़रत मख्दूम शाहमीना में लोग लंगर आम में शामिल हुए। लंगर का बन्दोबस्त मिशन के उपाध्यक्ष शाकिर अली मिनाई उर्फ बाबू भाई ने किया था। जुलूस-ए-गौसिया दोपहर 1 बजे मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद अयूब अशरफ किछौछवनी, संरक्षक काज़ी-ए-शहर मुफती अबुल इरफान मियाॅ फिरगी महली, उपाध्यक्ष शाकिर अली मिनाई उर्फ बाबू भाई, डाॅ एहसानुल्लाह, कोषाध्यक्ष सैयद याकूब अशरफ यूथ संरक्षक हज़रत आरिफ मियाॅ नक्शबंदी यूथ अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अहमद मियाॅ की क़यादत में निकला।

जुलूस-ए-गौसिया में शहर की अन्जुमनों ने किस्सा लिया जिसमें इस बार खुसुसी तौर पर डालीगंज, से कारी हश्मतुल्लाह, आगामीर डेवड़ी, से मोहम्मद अयूब, मोहम्मद सईद सीतापुर रोड, खदरा, नबीउल्लाह रोड से हाजी अबुल मन्नान मुशाहिदी, मौलाना खुर्शीद अहमद बरकाती पीर मोहम्मद की कायदत में जुलूस दरगाह शाहमीना पहुचा। सुबह 11 बजे से शहर के विभिन्न इलाके से जुलूस-ए-गौसिया में शामिल होने के लिए अन्जुमनों खुले झण्डे बैनर और विभिन्न प्रकार की झाॅकिया और तक्खतीयों के साथ नारे गौस या गौस के फलक नुमा झण्डो के बीच अवाज़ों से दरगाह हज़रत मख्दूम शाहमीना में दाखिल हो रहे थे जहाॅ दरगाह परिसर में जश्ने गौसिया का कार्यक्रम अपने शबाब पर चल रहा था जश्न-ए- गौसुलवराह की शुरूआत कारी आरिफ रज़ा रिजवी ने तिलावत-ए-पाक से की, नाते व मनकबत का नज़राना कारी गुलाबुद्दीन व कारी कारी शरफुदद्दीन, ने पेश किया मौलाना आज़म अली कादरी ने कार्यक्रम का संचालन किया। जश्न-ए- गौसुलवराह को सम्बोधित करते हुए मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद अयूब अशरफ किछौछवनी कहा कि गौसे आज़म नजमुत्तरफैन सैयद थे। आपके वालिद का नाम हज़रत सैयद अबू सालेह मूसा जॅगी दोस्त थे। आपका जन्म एक रमज़ानुल मुबारक शुक्रवार के दिन 470 हि0 सन 1075 ई0 को इराक में कसबा गीलान में हुई था। इस्लामी उच्च शिक्षा के कारण अपने शहर गीलान से कूच कर बगदाद शरीफ 488 हि0 में चले आये उस समय बगदाद आलमे इस्लाम का एक ऐसा केन्द्र था जहाम् उच्च कोटी की इसलामी शिक्षा दी जाती थी। आप इतने होनहार और इल्मी सलाहियतों के मालिक बने की 521 हि0 में हज़रत काजी अबू सईद मुबारक महजूमी ने अपना मदरसा आपके सुपुर्द कर दिया। आपकी शिक्षा से लोग दिन पर दिन शीक्षित होने लगे इस तरह मदरसा छोटा पड़ने लगा फिर आसपास के घरों को खरीद कर एक विश्वविख्यात मदरस-ए-कादरिया के नाम से मशहूर शैक्षिक संस्था का निर्माण हुआ। आपकी इल्मी सलाहियों का पूरी दुनिया में डंका बजने लगा। और आपकी बुजुर्गी व विलायत और करामतों का ज़हुर भी होने लगा। दूर दूर से लोग आपकी ज़ियारत और आपसे इल्मे दिन सीखने के लिए आने लगे। आप सभी वलियों की आन बान व शान है। गौसे पाक की जिन्दगी पूरे आलम के लिए एक मशअले राह है। इनके अलावा मौलाना मुन्नवर हुसैन बस्तवी व मुफती अबुल इरफान मियाॅ फिरंगी ने गौसे पाक की जिन्दगी पर रोशनी डाली।

इस मौके पर हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए और मुल्क में अमन व तरक्की की दुआ के साथ सलातो सलाम का नज़रोने अकीदत पेशकर कार्यक्रम का समापन हुआ। खुसूसी तौर पर जुलूस में मौलाना जाकिर हुसैन, कारी एनुल हक, सैयद जुनैद अशरफ, सैयद मोहम्मद अरशद, मोहम्मद अफजल, सैयद फाजिल हाशमी, सरफराज मुस्तफा खान, सईद वारसी, इररीस नूरी, मकसूद सिद्दीकी, आदि मौजूद थे।