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उर्दू पत्रकारिता का सुनहरा अध्याय समाप्त, अब्बू साहब सुपुर्दे ख़ाक

इंस्टेंट खबर ब्यूरो

लखनऊ: उर्दू पत्रकारिता का एक सुनहरा अध्याय आज समाप्त हो गया, हम सबके अब्बू साहब (हफ़ीज़ नोमानी) आज अपने आखरी सफर पर रवाना हो गए, हज़ारों नाम आँखों ने उन्हें सुपुर्दे ख़ाक कर दिया| तदफीन से पहले हफीज नोमानी की नमाजे जनाजा दारूलउलूम नदवतुल उल्मा में बाद नमाज जोहर पढ़ाई गयी। नमाज जनाजा दारूलउलूम नदवतुल उल्मा के नाजिम और आल इण्डिया मुस्लि पर्सनल लाॅ बोड के सदर, मौलाना राबे हसनी नदवी ने पढ़ाई। नमाज जनाजा और तदफीन मेें हर धर्म और सम्प्रदाय के हजारों लोगोें ने शिरकत की। सबकी ज़ुबान बस एक ही बात थी कि इतना निडर सहाफ़ी उर्दू सहाफत में अब शायद देखने को न मिले|

ग़ौरतलब है कि हफीज नोमानी साहब का कल रात पौने दस बजे सहारा अस्पताल मेें 90 साल की उम्र में एक लम्बी बीमारी के बाद इन्तेकाल हो गया था। मरहूम हफीज नोमानी साहब मरहूम उर्दू सहाफियों की उस नस्ल के आखिरी चिराग थे जिसने आजादी के बाद हिन्दुस्तानी मुसलमानों की रहनुमाई का कर्त्तव्य निभाया । हफीज नोमानी साहब मरहूम ने सच लिखने के कारण जेल की सलाखों के पीछे भी गए । अलीगढ़ मुस्ल्मि यूनिवर्सिटी के अकलियती किरदार की तहरीक के दौरान निदाए मिल्लत का मुस्लिम यूनिवर्सिटी नम्बर शाया करने के जुर्म में उन्हें गिरफतार किया गया और 9 महीने की जेल हुई । मरहूम हफीज नोमानी साहब हजरत मौलाना मन्जूर नोमानी साहब मरहूम के सुपुत्र थे। उन्होंने कई अख़बारों और पत्रिकाओं संपादन किया । ज़िन्दगी के आखरी दिनों में भी उनकी क़लम का जादू पाठकों के सर चढ़ कर बोलता रहा| उनकी क़लम में ऐसा जादू था कि उनके सम्पादकीय और लेखों का लोग इन्तेजार करते थे।

हफीज नोमानी साहब के इन्तेकाल पर पूरी सहाफती दुनिया गमजदा और परेशान है। लोगों ने अपनी अपनी तरह से उन को खराजे अकीदत पेश किया है। उनके दोस्त और मुल्क के मशहूर नाकिद व दप्रो0 शारिब रूदौलवी ने कहा है कि हफीज नोमानी के इन्तेकाल से उर्दू सहाफत के बहुत अहम अहद का आज खात्मा हो गया। ईमानदारी व नेकनियती और मोहोब्बत का नुमाइन्दा आज नहीं रहा। उन्होंने कहा कि हफीज नोमानी के इन्तेकाल ने आज पूरे शहर को सोगवार कर दिया है। उन्होंने कहा कि हफीज नोमानी सिर्फ एक सहाफी ही नहीं बल्कि एक अजीम इन्सान भी थे।

मशहूर सहाफी आलम नकवी ने कहा कि हफीज नोमानी कलम के उन बेबाक और बेखौफ सिफहियों में से थे जो किसी के सामने झुकना नहीं जानते थे। डाक्टर सबीहा अनवर ने कहा कि हफीज नोमानी साहब सहाफत का एक रौशन चिराग थे जिसकी शोआयें कौम व मिल्लत के लिये मशअले राह थी।

मरहूम हफीज नोमानी साहब की अहेलिया का इन्तेकाल कई सालो पहले हो चुका है। परिवार में चार लडके और दो लडकियां हैं।

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