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रघुराम राजन ने अर्थव्यवस्था सुधरने के दिए दस सुझाव

नई दिल्ली: देश में आर्थिक सुस्ती की वजह से मायूसी का माहौल है। सरकार अपने स्तर पर कई बड़े फैसले ले चुकी है लेकिन अबतक उनका जमीनी स्तर पर कोई खास प्रभाव नहीं दिख रहा है। हाल ही में दूसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़ों ने चिंता को और बढ़ा दिया है। जीडीपी 4.5 प्रतिशत दर्ज की गई है जो कि 6 साल में सबसे कम है। ऑटोमोबाइल, कोर सेक्टर बुरे दौर से गुजर रहे हैं।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने इस पर चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही उन्होंने अर्थव्यस्था में तेजी के लिए सुझाव भी दिए हैं। पूर्व गवर्नर का दावा है कि उन्होंने जो प्लान तैयार किया है अगर मोदी सरकार इसे लागू करे तो अर्थव्यवस्था में तेजी लाई जा सकती है। उन्होंने लेबर, टेलिकॉम, भूमि अधिग्रहण और कृषि संकट जैसे मुद्दों पर अपने सुझाव दिए हैं।

लेबर कॉन्ट्रैक्ट्स में अधिक लचीनेपन की जरूरत है। लेबर लॉ में एक ऐसे कानूनी प्रावधान की जरूरत है जिसमें इंटरमिडिएट कॉन्ट्रेक्ट के तहत कर्मचारियों को रोजगार के समय अधिकार प्राप्त होते हैं लेकिन उन्हें स्थायी नहीं करना पड़ता है।

सरकार को कर और नियामक व्यवस्था को स्थिर करना चाहिए। इसके साथ ही इन्हें पूर्वानुमानित कर देना चाहिए। प्रस्तावित परिवर्तनों पर चर्चा सार्वजनिक रूप से होनी चाहिए। इन बदलानों को स्वीकार करने के लिए इंडस्ट्री को पर्याप्त समय देना चाहिए। स्वतंत्र इकॉनामिक निगरानी एजेंसी का गठन किया जाना चाहिए जो निवेशकों में यह भरोसा जताए कि सरकार विपरीत परिस्थितियों में अचानक उनका साथ नहीं छोड़ेगी।

आरबीआई सबसे बड़े एनबीएफसी की संपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा करे। जो भी एनबीएफसी बेहतर स्थिति में हो उसे क्लीन चिट दी जाए। अंडरकैपिटलाइज एनबीएफसी को उंची दरों पर फंड मुहैया करवाया जाए।

मंत्रियों को सशक्त बनाने की जरूरत है। राज्यों के आपसी तालमेल को बढ़ाए जाने की जरूरत है। ऐसा 15 वें वित्त आयोग के संदर्भ की शर्तों में संशोधन करके शुरू किया जा सकता है। राज्यों के टैक्स रेवन्यू के शेयर को घटाने की जरूरत नहीं।

बिजली वितरकों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने की दिशा में सरकार बड़े स्तर पर काम करें। सुनिश्चित करें कि बिजली की पर्याप्त कीमत और पैमाइश की जाए।

टेलीकॉम सेक्टर में पर्याप्त प्रतिद्वंद्वियों का संरक्षण किया जाना चाहिए। वहीं लंबी समय तर इस सेक्टर में स्थिरता के लिए सरकार नियामक प्रक्रियाओं की फिर से जांच करें।

कृषि क्षेत्र: किसानों तक बीज, प्रौद्योगिकी, पॉवर फाइनेंस और बीमा जैसी बुनियादी चीजों की पहुंच आसान की जानी चाहिए। सरकार को लैंड लीजिंग और ट्रैक्टर जैसे संसाधनों की सहकारी शेयरिंग पर जोर देना होगा। किसानों को दी जार रही कर्ज माफी से कृषि क्षेत्र में जारी संकट खत्म नहीं हो सकता।

सरकार प्रमुख पारिवारिक उद्यमों को बेचने से बचें।

भूमि के मानचित्रण और स्वामित्व टाइटल को स्थापित करने की प्रक्रिया में तेजी लाने की जरूरत है विशेषकर गरीब राज्यों में। राजन का सुझाव है किजबरन भूमि अधिग्रहण लैंड जोनिंग को निर्धारित करने और इसके स्वामित्व में बदलावों के लिए पारदर्शी प्रक्रियाएं निर्धारित करने की जरूरत है। जबरन भूमि अधिग्रहण को बेहद कम करने की जरूरत है।

अधूरे पड़े प्रोजेक्ट्स को पूरा करने और बिल्डरों को दिवालिया होने से बचाने के लिए सरकार सुपर लोन पैकेज मुहैया करवाएं।

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