लखनऊ: पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज कहा कि हमारी पार्टी का प्रस्तावित नए नागरिकता कानून के बारे में यह कहना है कि केन्द्र सरकार द्वारा काफी जल्दबाजी में लाया गया नागरिकता संशोधन विधेयक यह पूरे तौर से विभाजनकारी व असंवैधानिक विधेयक है अर्थात् इस विधेयक के जरिये इनका धर्म के आधार पर नागरिकता एवं नागरिकों में धर्म के आधार पर भेदभाव आदि पैदा करना यह डा. भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी एवं धर्मनिरपेक्ष संविधान की मंशा व बुनियादी ढांचे के एकदम विरुद्ध कदम है। अतः बी.एस.पी. इस बिल के वर्तमान स्वरुप से बिल्कुल भी सहमत नहीं है। साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा नोटबन्दी व जी.एस.टी. आदि की तरह ही इस असंवैधानिक व अपरिपक्व तरीके से लाये गये नागरिकता संशोधन विधेयक को, इसे देश पर जबरदस्ती थोपने की बजाय इसपर केन्द्र सरकार को पुनर्विचार करना चाहिये और इसके बेहतर विचार-विमर्श के लिए इसे संसदीय समिति के पास भेजना चाहिये ताकि यह विधेयक संवैधानिक रूप में देश की जनता के सामने आ सके।

मायावती ने कहा, यहाँ मैं यह भी जरूर स्पष्ट कर देना चाहती हूँ कि यदि केन्द्र की सरकार देश व जनहित में भारतीय संविधान के मुताबिक सही व उचित फैसले लेती है तो हमारी पार्टी फिर दलगति राजनीति से ऊपर उठकर केन्द्र सरकार का जरूर समर्थन करेगी। खासकर जम्मू-कश्मीर के मामले में हमने धारा 370 को लेकर इसी सोच के आधार पर ही केन्द्र सरकार का समर्थन भी किया था और वैसे भी यह फैसला हमारी पार्टी ने बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की सोच के आधार पर चलकर ही इसे भारतीय संविधान के हिसाब से ही अपने देश की एकता व अखण्डता को ध्यान में रखकर ही लिया है, जिसको लेकर खासकर कांग्रेस व इनकी सहयोगी पार्टियां अब इसकी आड़ में हमारे विरुद्ध जबरदस्ती मुसलमानों को गुमराह करने में लगी है। यदि धारा 370 को लेकर हमारा नजरिया कुछ और होता तो फिर आज हमारी पार्टी केन्द्र सरकार के लाये गये नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में खुलकर खड़ी नहीं होती।

मायावती ने कहा कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की तरह ही बी.एस.पी. जनहित व देशहित को सर्वोपरि रखकर चलने वाली पार्टी है तथा मुद्दों के आधार पर ही केन्द्र में चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या फिर वर्तमान में बीजेपी की सरकार हो, इनको हमने व्यापक देशहित व जनहित के मद्देनजर रखते हुये मुद्दों पर आधारित ही समर्थन दिया है।

मायावती ने कहा कि केन्द्र सरकार का कोई भी फैसला किसी जाति, धर्म, साम्प्रदाय व क्षेत्र के खिलाफ कतई नहीं लगना चाहिये और ना ही इससे कोई द्वेष की भावना ही झलकनी चाहिये क्योंकि ऐसा कदम एक प्रकार के भारतीय संविधान की मान- मर्यादा के विरूद्ध एक अपराध ही समझा जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि बी.एस.पी. कभी भी केन्द्र की सरकार में शामिल नहीं रही है और केवल देश व जनहित के मुद्दांे के आधार पर ही कांग्रेस आदि को बाहर से समर्थन किया है। बीजेपी की वर्तमान केन्द्र सरकार के प्रति भी बी.एस.पी. की यही नीति है।