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चिदंबरम ने मोदी सरकार को बताया विचारशून्य

नई दिल्ली: पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार को मीडिया से बात की और अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा। चिंदबरम ने कहा कि सरकार गलत है क्योंकि यह विचारशून्य है और वह बर्बादी के कारणों को खोजने में असमर्थ है। उन्होंने कहा कि निदान सबसे शुरूआती उपाय है। यदि निदान गलत है, तो नुस्खा बेकार होने के साथ और भी घातक हो सकता है। दरअसल,पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम 106 दिनों के बाद जेल से बाहर आ गए हैं। आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई ने पी. चिदंबरम को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया था, कल (गुरुवरर ) सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिली थी।

चिदंबरम ने कहा कि मैं कल के स्पष्ट और व्यापक आदेश के लिए सुप्रीम कोर्ट का आभारी हूं। आदेश से धूल की कई परतें साफ हो जाएंगी, जो दुर्भाग्य से आपराधिक कानून के बारे में हमारी समझ और जिस तरह से हमारे न्यायालयों द्वारा आपराधिक कानून को प्रशासित किया गया है, उस पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि मैं उन राजनीतिक नेताओं के बारे में विशेष रूप से चिंतित हूं, जिन्हें आरोपों के बिना हिरासत में लिया गया है। स्वतंत्रता अविभाज्य है, अगर हमें अपनी स्वतंत्रता को संरक्षित करना है, तो हमें उनकी स्वतंत्रता के लिए लड़ना चाहिए।

पी चिदंबरम ने कहा कि सरकार गलत है क्योंकि यह विचारशून्य है, बर्बादी के कारणों को खोजने में असमर्थ है, क्योंकि यह पीएमओ के नोटबंदी, जीएसटी, कर आतंकवाद, रेगुलेटरी ओवरकिल, संरक्षणवाद और केंद्रीकृत नियंत्रण जैसी अपनी गलतियों का बचाव करने की जिद में लगी हुई है।

पूर्व वित्तमंत्री ने कहा, "हमें पूरा विश्वास है कि न्यायालय अंतत: न्याय प्रदान करेगा आइए हम इस मामले को यहीं छोड़ते हैं और वर्तमान के सबसे अधिक दबाव और विस्फोटक मुद्दे की ओर मुड़ें- जो कि अर्थव्यवस्था की स्थिति है।" उन्होंने कहा कि निदान सबसे शुरूआती उपाय है। यदि निदान गलत है, तो नुस्खा बेकार होने के साथ और भी घातक हो सकता है। वित्तीय वर्ष में 7 महीने बीतने के बाद भी, बीजेपी सरकार का मानना है कि अर्थव्यवस्था के सामने जो समस्याएं हैं, वे चक्रीय हैं।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि अर्थव्यवस्था को मंदी से बाहर लाया जा सकता है, लेकिन यह सरकार ऐसा करने में असमर्थ है। मेरा मानना है कि कांग्रेस और कुछ अन्य दल अर्थव्यवस्था को मंदी से बाहर निकालने और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में सक्षम हैं लेकिन हमें बेहतर समय का इंतजार करना होगा। यूपीए ने 2004 से 2014 के बीच 14 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला। जबकि एनडीए ने 2016 से लाखों लोगों को गरीबी रेखा से नीचे धकेल दिया है।

उन्होंने कहा कि कृपया अरविंद सुब्रमण्यम की इस चिंता की ओर ध्यान दें कि संदिग्ध पद्धति के तहत 5% की दर वास्तव में 5 प्रतिशत नहीं, बल्कि लगभग 1.5 प्रतिशत से कम है। प्रधानमंत्री अर्थव्यवस्था पर असामान्य रूप से मौन रहे हैं। पीएम ने इसे अपने मंत्रियों के पास धोखा और झांसा देने के लिए छोड़ दिया है। इसका परिणाम वही है, जैसा कि द इकोनॉमिस्ट ने कहा है कि सरकार अर्थव्यवस्था की 'अक्षम प्रबंधक' बन गई है।

मोदी सरकार पर हमला करते हुए चिदंबरम ने कहा कि दुनिया के निवेशक, बैंकर, रेटिंग एजेंसियां और कंपनियों के निदेशक मंडल – इकोनॉमिस्ट, वॉल स्ट्रीट जर्नल और टाइम पत्रिका- ये सभी संख्याओं पर पूरा ध्यान देते हैं। प्रत्येक संख्या एक बदहाल अर्थव्यवस्था का संकेत करती है। एनएसएसओ के अनुसार ग्रामीण खपत कम है। ग्रामीण मजदूरी घट रही है। विशेषकर किसानों के लिए पैदावार की कीमतें कम हैं। दैनिक वेतन भोगियों को महीने में 15 दिनों से अधिक समय तक काम नहीं मिल रहा है। मनरेगा की मांग बढ़ रही है। एफएमसीजी- टिकाऊ और गैर-टिकाऊ दोनों की बिक्री कम है। थोक भाव ऊपर हैं। सीपीआई बढ़ रही है। प्याज 100 रुपये किलो बिक रहा है। इनका क्या मतलब है?

मांग में कमी है क्योंकि लोगों के पास अनिश्चितता और भय के कारण उपभोग करने के लिए न तो पैसे हैं और न ही इच्छा है। जब तक मांग नहीं बढ़ती, उत्पादन या निवेश में वृद्धि नहीं होगी। सरकार वर्तमान मंदी को 'चक्रीय' कह रही है। भगवान का शुक्र है कि उन्होंने इसे 'मौसमी' नहीं कहा है। यह 'संरचनात्मक' है और सरकार के पास इन संरचनात्मक समस्याओं का न तो कोई समाधान है और न ही कोई सुधार।

उन्होंने कहा, "कृपया मेरे द्वारा उठाए गए सवालों पर ध्यान दें। आने वाले दिनों में, मैं बोलूंगा, साक्षात्कार दूंगा और उनमें से प्रत्येक पर विस्तृत रूप से लिखूंगा। संख्या की इस घटती स्थिति के साथ अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहतर नहीं है- 8, 7, 6.6, 5.8, 5 और अब 4.5।" चिदंबरम ने आगे कहा कि पिछली छह तिमाहियों में ये जीडीपी की तिमाही वृद्धि दर हैं। 2019-20 की तीसरी और चौथी तिमाही में भी कोई बेहतर स्थिति होने की संभावना नहीं है। हम इस वर्ष के अंत में भाग्यशाली होंगे, यदि विकास 5 प्रतिशत को छूता है।

इससे पहले संसद परिसर में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए चिदंबरम ने कहा कि सरकार संसद में मेरी आवाज दबा नहीं सकती। वहीं चिदंबरम बुधवार शाम ही तिहाड़ जेल से बाहर आए। जेल से बाहर आने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया और उनके समर्थन में नारेबाजी की। सोनिया से मुलाकात के बाद चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, 'मैं खुश हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने मुझे जमानत देने का आदेश दिया। मुझे खुशी है कि मैं 106 दिनों के बाद बाहर आ गया और खुली हवा में सांस ले रहा हूं।"

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