लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमे जबरन धर्मान्तरण जैसे ''गंभीर मसले'' पर नया कानून बनाने की सिफारिश की गई है. आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने बताया कि धर्म की स्वतंत्रता (विधेयक के मसौदे सहित) उत्तर प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2019'' नामक रिपोर्ट आयोग ने मुख्यमंत्री को दिया है. योगी को यह रिपोर्ट आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदित्यनाथ मित्तल और सपना त्रिपाठी ने सौंपी. आयोग का मत है कि मौजूदा कानूनी प्रावधान धर्मान्तरण रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं और इस गंभीर मसले पर दस अन्य राज्यों की तरह नये कानून की आवश्यकता है.

आजादी के पहले और बाद, देश और पड़ोसी देशों मसलन नेपाल, म्यामांर, भूटान, श्रीलंका और पाकिस्तान के कानूनों के अध्ययन के बाद रिपोर्ट को राज्य सरकार के विचारार्थ भेजा गया है. रिपोर्ट 268 पृष्ठ की है. इसमें ''धर्म क्या है, क्या इसकी व्याख्या की जा सकती है, जबरन धर्मान्तरण पर हाल की अखबारी

रिपोर्ट में धर्म से जुड़े मौजूदा कानूनी प्रावधानों और नये कानून की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है. आयोग ने मसौदा विधेयक के साथ अपनी सिफारिशें सौंपी हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में जबरन धर्मान्तरण को प्रतिबंधित करने के विशेष कानून बन चुकी है.