नई दिल्ली: कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से आग्रह किया कि वे अपने यहां की अदालतों में लंबित पड़े 10 साल या इससे अधिक पुराने मामलों का त्वरित निपटारा सुनिश्चित करें. लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान बसपा के दानिश अली, तृणमूल कांग्रेस की शताब्दी रॉय और कांग्रेस के के. सुधाकरन के पूरक प्रश्नों के उत्तर में उन्होंने यह टिप्पणी की.

प्रसाद ने संसद में कहा कि अदालत में चल रहे ऐसे मामले जो वहां पर दस साल से अधिक समय से लंबित हैं, उनको लेकर वह सभी राज्य हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख रहे हैं कि ऐसे मामलों को निपटाया जाए. उन्होंने इसके साथ ही कहा कि फैसला करना अदालत का कार्य है. यह सरकार का कार्य नहीं है. सरकार का काम ढांचागत आधार उपलब्ध कराना है. जिसके लिए केंद्र सरकार अदालतों-राज्य सरकारों के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं.

उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि अदालतों में रिक्त पदों की समस्या को देखते हुए आईएएस, आईपीएस और आईएफएस की तर्ज पर एक राष्ट्रीय न्यायिक सेवा भी बनानी चाहिए. प्रसाद ने कहा कि राज्य में अदालतों के उन्नयन के लिए मोदी सरकार लगातार कार्य कर रही है. एक राष्ट्रीय कानून ग्रिड बनाया गया है जिसमें 10 करोड़ ऑर्डर और करीब 12 करोड़ लिए गए अदालती और लंबित मामलो की जानकारी है. जिसे एक क्लिक पर देखा जा सकता है.

मोदी सरकार ने अनावश्यक कानूनों को भी खत्म करने का वादा किया था और उस पर कार्य करते हुए करीब 15 सौ पुराने कानूनों को रद्द भी किया गया है. उन्होंने कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी की ओर से पूछे गए सवाल कि, मोदी सरकार के सत्ता पर आने पर कितने लंबित मामले थे और अब कितने मामले लंबित हैं, पर कहा कि वह इसकी जानकारी हासिल करके उन्हें पत्र लिखेंगे. उन्होंने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद से अदालतों पर बोझ कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं.