नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न देने की तैयारी से जुड़े सवालों पर कहा कि इस पुरस्कार को देने के लिए किसी औपचारिक अनुशंसा की जरूरत नहीं है। बीजेपी के ही एक सांसद गोपाल चिन्नया शेट्टी ने इस संबंध में सवाल पूछे। इसके बाद गृह मंत्रालय की ओर से जवाब दिये गये। भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।

गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया, 'भारत रत्न के लिए सिफारिशें नियमित रूप से प्राप्त की जाती हैं लेकिन इस अवॉर्ड के लिए किसी औपचारिक अनुशंसा की जरूरत नहीं है। समय-समय पर भारत रत्न को लेकर फैसले तय समय पर किये जाते हैं।'

बीजेपी ने महाराष्ट्र चुनाव से ठीक पहले वीर सावरकर को भारत रत्न दिये जाने की मांग अपने घोषणापत्र में उठाई थी। बीजेपी के घोषणा पत्र में कहा गया कि बीजेपी सरकार बनने पर केंद्र में अपनी पार्टी की अगुवाई वाली राजग सरकार से वीर सावरकर के नाम से लोकप्रिय विनायक दामोदर सावरकर को देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ देने की मांग करेगी। हालांकि, महाराष्ट्र में शिवसेना से विवाद के बाद बीजेपी की सरकार नहीं बन सकी।

महाराष्ट्र में वीर सावरकर का नाम सम्मान से लिया जाता है। इसलिए महाराष्ट्र में चुनाव के दौरान कांग्रेस भी खुल कर सावरकर को लेकर विरोध नहीं जता पाई थी। कांग्रेस ने तब कहा कि वह वीर सावरकर का सम्मान करती है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वो 'गांधी के भक्त' हैं या फिर 'सावरकर के भक्त' हैं।

वीर सावरकर की पहचान एक कट्टर 'हिंदुत्व विचारधारा' वाले राजनेता के तौर पर है। उन पर महात्मा गांधी की हत्या के 'साजिश' के भी आरोप लगे। हाल में महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने भी विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न देने के महाराष्ट्र बीजेपी के प्रस्ताव की आलोचना करते हुए कहा कि सावरकर महात्मा गांधी की हत्या की साजिश के ‘संरक्षक’ थे। तुषार गांधी ने दावा किया कि गांधी की हत्या मामले में सुनवायी का सामना करने वाले सावरकर को बरी कर दिया गया था लेकिन उन्हें अदालत द्वारा बेगुनाह करार नहीं दिया गया था।