नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के दौरान गंभीर अनियमितता के आरोपों को लेकर चुनाव आयोग की चुप्पी पर सवाल उठने लगे हैं। इस बाबत एक पत्र चुनाव आयोग को सबसे पहले 2 जुलाई को लिखा भी गया, लेकिन आयोग की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। यह पत्र कंस्टीट्यूशनल कंडक्ट की तरफ से लिखा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिलने पर 20 जुलाई, फिर 10 अगस्त को रिमाइंडर भी भेजा गया। इसके बावजूद आयोग ने लोकसभा चुनाव के दौरान हुई अनियमितता के आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया। अब एक बार फिर इसे लेकर रिमाइंडर चुनाव आयोग को भेजा गया है।

चुनाव आयोग को यह पत्र 64 पूर्व आईएएस अधिकारियों की ओर से लिखा गया है, जिसे रक्षा, अकादमिक और अन्य क्षेत्रों से जुड़े 83 पूर्व अधिकारियों ने अपना समर्थन दिया है। पत्र में कहा गया है कि आयोग की तरफ से किसी तरह का जवाब न मिलना और यहां तक कि पत्र मिलने की सूचना न देना कई सवाल खड़े करता है। इसमें पूछा गया है कि क्या हमें कभी अपने सवालों का जवाब मिल पाएगा।

कंस्टीट्यूशनल कंडक्ट समूह ने आयोग को लिखे पत्र में कहा है कि जो मुद्दे उठाए गए हैं, वे हमारे लोकतंत्र के सुचारू क्रियाकलाप के लिहाज से काफी चिंताजनक हैं। इस बाबत यह समूह चुनाव से जुड़े कई मुद्दों पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओ.पी. रावत के भी संपर्क में रहा। कंस्टीट्यूशनल कंडक्ट पूर्व आईएएस अधिकारियों का एक समूह है, जिनमें कई पिछले छह दशक से चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा रहे हैं। इनका कहना है कि इतने लंबे अरसे तक चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा रहने के नाते यह हमारा दायित्व बनता है कि निष्पक्ष चुनाव को लेकर जनता के मन में उठे संदेह को दूर करने के लिए चुनाव आयोग के साथ काम करना चाहिए।

पत्र में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा से कहा गया है कि ईवीएम और वीवीपैट से जुड़ा मसला अभी भी सही से सुलझाया जाना बाकी है। ऐसे में चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस मसले को सुलझाए।