नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर सियासी ड्रामा जारी है। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बावजूद राज्य की प्रमुख पार्टियां सरकार बनाने का दावा कर रही है। जहां एक तरफ शिवसेना कह रही है कि वह कांग्रेस और एनसीपी के साथ बातचीत कर रही है तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने भी राज्य में सरकार बनाने का दावा किया है। वहीं इस बीच शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच सरकार गठन को लेकर नई बात सामने आ रही है। राज्य में सरकार गठन को लेकर कांग्रेस ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर बातचीत के लिए महाराष्ट्र के नेताओं की एक समिति बनाई है। दोनों राजनीतिक दलों ने पांच-पांच सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया है जो इस गठबंधन सरकार के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को फाइनल करेगी। इस कमेटी को लेकर एनसीपी नेता अजीत पवार का कहना है कि इस दौरान उनकी पार्टी पहले अपनी सहयोगी कांग्रेस के साथ बातचीत करेगी और फिर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए शिवसेना के साथ बात करेगी।

दरअसल, राज्य में वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करने के लिए आज एनसीपी ने एक कोर समिति की बैठक की। बैठक के दौरान कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की 5-5 सदस्यों की कमेटी बनाई गई है, जो कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को फाइनल करेगी। अजित पवार, जयंत पाटिल, धनंजय मुंडे, नवाब मलिक और छगन भुजबल एनसीपी की तरफ से इस कमेटी के सदस्य होंगे।' वहीं, कांग्रेस की तरफ से कमेटी में अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण, मणिकराव ठाकरे, बालासाहेब थोरात और विजय वडेट्टीवार शामिल हैं। इस बैठक में एनसीपी प्रमुख शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, सुप्रिया सुले, अजीत पवार और जयंत पाटिल मौजूद रहे।

बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान अजित पवार ने कहा कि हमारे और कांग्रेस के बीच में तो बहुत जल्दी निर्णय ले लिया जाएगा। उन्होंने कहा, 'मेरा खुद का कहना है कि नया साल शुरू होने से पहले महाराष्ट्र में सरकार बननी चाहिए।'

अजित पवार ने कहा, 'कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को लेकर जहां तक शिवसेना का सवाल है, तो हम पहले अपने गठबंधन के साथी कांग्रेस से इस बारे में पूछेंगे, क्योंकि कांग्रेस और हमारा तो एक ही मेनिफेस्टो था। शिवसेना का घोषणा पत्र अलग था, तो हमें पहले कांग्रेस के साथ समझदारी बनानी है फिर हम शिवसेना के साथ भी बातचीत करेंगे।'

बता दें कि महाराष्ट्र में 20 दिनों से सरकार गठन को लेकर चल रहे सियासी खींचतान के बीच मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। किसी भी पार्टी द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करने के बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी। इस दौरान विधानसभा निलंबित रहेगी।