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‘अन्नदाता’ किसानों को ‘ऊर्जादाता’ भी बनने की जरूरत है: सीतारमण

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार किसानों की चिंताओं और ग्रामीण विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुये उनकी प्रगति के लिये कई कार्यक्रम चला रही है। उन्होंने किसानों से ऊर्जा क्षेत्र में योगदान की जरूरत पर जोर देते हुये कहा कि किसानों को ‘अन्नदाता’ के साथ साथ ‘ऊर्जादाता’ भी बनने की जरूरत है।

वित्त मंत्री यहां ग्रामीण और कृषि वित्त पर आयोजित 6वीं विश्व कांग्रेस का उद्घाटन कर रही थी। इसका आयोजन राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास (नाबार्ड) और एशिया- प्रशांत ग्रामीण कृषि और रिण संघ (एपीआरएसीए) ने मिलकर किया।

सीतारमण ने कहा कि सरकार ग्रामीण जीवन और कृषि क्षेत्र पर सामान्य से अधिक निर्भरता को स्वीकार करते हुये कई क्षेत्रों पर ध्यान दे रही है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रबंधन और जल संबंधी दबाव वाले बिंदुओं पर गौर करने और किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने पर भी जोर दिया।

वित्त मंत्री ने इस मौके पर किसानों से सौर ऊर्जा क्षेत्र में योगदान करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि किसानों को पवन ऊर्जा, छतों और बंजर भूमि पर सोलर पैनल लगाने जैसे क्षेत्रों में भी आगे आना चाहिये ताकि किसान अन्नदाता के साथ साथ ऊर्जादाता भी बन सकें।

सीतारमण ने इस दौरान नाबार्ड को जम्मू कश्मीर और लद्दाख के किसानों की तरफ मदद का हाथ बढ़ाने के लिये भी कहा। उन्होंने कहा कि नाबार्ड को इन राज्यों में किसानों की मदद के लिये आगे आना चाहिये ताकि इन राज्यों से केसर, आड़ू, अखरोट और दूसरे कृषि उत्पादों की सही समय पर खरीद की जा सके। ‘‘मैंने नाबार्ड के चेयरमैन को जम्मू और कश्मीर की यात्रा करने को कहा है ताकि नाबार्ड वहां किसानों को समर्थन दे सके।’’ उन्होंने लद्दाख के क्षेत्र में सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता भी जताई।

वित्त मंत्री ने अपने संबोधन में किसानों को सालाना 6,000 रुपये दिये जाने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य सरकारें भी अपनी तरफ से किसानों को नकद सहायता उपलब्ध करा रही हैं। उन्होंने आंध्र प्रदेश का उदाहरण देते हुये कहा कि यहां किसानों को 7,000 रुपये अतिरिक्त मिल रहे हैं इस प्रकार कुल 13,000 रुपये तक की सहायता उपलब्ध हो रही है। सरकार ने किसानों को दी जाने वाली विभिन्न सहायता के मामले में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हो इसके लिये डिजिटल तरीकों का इस्तेमाल करते हुये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, आधार का इस्तेमाल करते हुये सुनिश्चित किया गया कि मदद की राशि सीधे वास्तविक व्यक्ति के बैंक खाते में पहुंचे।

कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव देबाशीष पांडा ने इस अवसर पर कहा कि समावेशी और सतत विकास के लिये वित्तीय समावेश पर जोर दिया। इस मामले में उन्होंने कहा कि जनधन खाते, आधार संख्या और मोबाइल (जैम) तीनों के आने से वित्तीय समावेश का बेहतर लाभ मिल सकेगा।

नाबार्ड के चेयरमैन डा. हर्ष कुमार भानवाला ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि ‘‘देश में हर साल 20 अरब डालर का कर्ज छोटे और सीमांत किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। किसान उत्पाक संगठन की संख्या बढ़ने के साथ इसमें और वृद्धि होगी। डा. भानवाला ने इव अवसर पर नाबार्ड के सबसे बड़े स्वयं सहायता समूह- बैंक संपर्क कार्यक्रम का लाखों ग्रामीण महिलाओं को लाभ हुआ है। उन्होंने घोषणा की कि इस कार्यक्रम को जल्द ही डिजिटल प्लेटफार्म पर ले जाया जायेगा।

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