नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए सोमवार की शाम शिवसेना के नेता राजभवन जाकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की। शिवसेना के नेताओं ने राज्य में स्थिर सरकार बनाने के लिए दो दिन का वक्त मांगा था, लेकिन राज्यपाल ने अधिक समय देने से इनकार कर दिया। शिवसेना के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार गठन की इच्छा जाहिर की। हालांकि सेना आवश्यक समर्थन पत्र नहीं सौंप सकी और इसके बदले समय मांगा। राज्यपाल ने एक बयान के जरिए समय देने से इंकार कर दिया।

राज्यपाल के इस फैसले को पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज पी बी सावंत ने अतार्किक और भेदभावपूर्ण करार दिया है, वहीं महाराष्ट्र के पूर्व महाधिवक्ता श्री हरि अणे ने कोश्यारी के इस फैसले का समर्थन किया है। सरकार बनाने के लिए हो रही राजनीति को देखते हुए अणे ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू करना ही उचित होगा। 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम घोषित किए गए थे और अबतक किसी भी पार्टी ने सरकार बनाने का दावा नहीं किया है। राज्यपाल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है। इसके पहले राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन भाजपा ने सरकार बनाने से इंकार कर दिया।

सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सावंत ने कहा, “राज्यपाल भाजपा को सरकार बनाने के लिए 15 दिन का समय दे सकते हैं लेकिन वह अन्य दलों को 24 घंटे से अधिक नहीं दे सकते? इसमें तो कोई शक ही नहीं है कि यह अवैध, आंशिक और अनुचित है। एक पार्टी कह सकती है कि हम साबित कर सकते हैं कि हमारे पास सदन में बहुमत है। अभी तक सदन का गठन नहीं हुआ है। उन्हें समर्थन पत्र सौंपने की आवश्यकता नहीं है। वे कह सकते हैं कि हम अपना बहुमत साबित करेंगे।”

लेकिन अणे ने कहा कि सेना को दिए गए समय को उस समय से नहीं देखा जा सकता है जब कोश्यारी ने उन्हें आमंत्रित किया था। 24 अक्टूबर को चुनाव के नतीजे आए थे। 18 दिन हो गए हैं, यह समय का सवाल नहीं है। लेकिन जब समर्थन पत्र ही नहीं सौंपा गया तो राज्यपाल का अधिक समय देने से इनकार करना सही है। अणे ने कहा कि तीन पार्टियां (शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस) कई दिनों से बातचीत कर रही हैं।