लखनऊ। रामजन्म भूमि मन्दिर के प्रमुख पक्षकार अखिल भारत हिन्दू महासभा ने आज यहां सुप्रीमकोर्ट का राम मन्दिर पर आगामी निर्णय हिन्दू समाज के अनुरूप होने पर भरोसा जताते हुये कहा है कि बाबरी मस्जिद को लेकर देश में यदि कोई भूमि उपलब्ध करायी जाती है तो उसका पार्टी पुरजोर विरोध करेगी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी त्रिदंडी महाराज ने श्रीराम जन्मभूमि की अधिग्रहीत भूमि से बाहर अयोध्या में ही बनाए जाने का निर्णय आने की आशंका जताते हुये कहा है कि । यदि ऐसा होता है तो दुर्भाग्यपूर्ण होगा। स्वामी जी ने कहा कि बाबर के नाम पर कोई मस्जिद या प्रतीक चिन्ह अयोध्या तो छोड़िए, संपूर्ण भारत भूमि पर कहीं भी स्वीकार नहीं होगा। उन्होंने उन्होंने कहा कि अयोध्या में मस्जिदों की कमी नहीं है । मुस्लिम समाज किसी भी मस्जिद में इबादत कर सकता है, जिसमे हिन्दू महासभा और हिन्दू समाज को कोई आपत्ति नहीं है। चूंकि श्रीराम जन्मभूमि पर बाबरी मस्जिद का निर्माण भारत पर आक्रमण कर भारतीय संस्कृति और धर्मस्थलों को ध्वस्त करने और लाखो श्रीराम भक्तो के हत्यारे आक्रांता और बर्बर मुगल बाबर ने बनवाया , जो हिन्दू समाज के लिए असहनीय है । ऐसे किसी मस्जिद का भारतभूमि पर निर्माण के निर्णय को स्वीकार करने में अखिल भारत हिन्दू महासभा असमर्थ है । वहीं दूसरी ओर प्रदेश अध्यक्ष पीयूष कान्त वर्मा ने कहा कि यदि श्रीराम जन्मभूमि से बाहर बाबर के नाम पर मस्जिद निर्माण पर कोई अप्रिय निर्णय है तो हिन्दू महासभा सभी चार जगतगुरू शंकराचार्य एवं देश के प्रमुख धर्माचार्यों से मिलकर नई रणनीति तैयार करेगी और सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करने पर अंतरिम निर्णय लेने पर बाध्य होगी । प्रदेश सचिव अनुपम मिश्रा ने बताया कि स्वामी जी ने हिन्दू समाज को सावधान करते हुए कहा कि निर्णय आने से पहले और निर्णय आने के बाद हिन्दू विरोधी शक्तियों के इशारे पर अराजक तत्व हिन्दू समाज को धार्मिक उन्माद के माध्यम से भड़काने की साजिश कर सकते है। हिन्दू समाज को न केवल अपनी सूझ बूझ से ऐसी साजिशों को विफल करना है, वरन् सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते हुए देश में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने में भी योगदान देना होगा।