वाशिंगटन: अमरीका ने औपचारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र संघ को सूचित कर दिया है कि वह पेरिस समझौते में शामिल नहीं रहेगा। अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने अपने देश के गैस, तेल और कोयला उद्योग को तेज़ गति से आगे बढ़ाने के लिए पेरिस समझौते का विरोध किया था और इस विषय को अपने चुनावी एजेंडे में शामिल किया था। ट्रम्प ने तभी इस समझौते से निकलने का ऐलान कर दिया था और अब इस पर कार्यवाही शुरू हो गई। अब इस समझौते से अमरीका के बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू होगी, जो एक साल तक चलेगी। पेरिस समझौते से अमरीका के निकलने की प्रक्रिया 4 नवम्बर 2020 को उस समय समाप्त होगी जब अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ रहे होंगे।

ज्ञात रहे कि पेरिस समझौते में लगभग 200 देश शामिल है, जिनके बीच कुछ निश्चित गैसों को नियंत्रित करने या उनके उपयोग को कम करने का समझौता हुआ है, इस समझौते में भारत और चीन जैसे बड़े देश भी शामिल हैं। पेरिस समझौते में अमरीका 2015 में शामिल हुआ था, तब बराक ओबामा राष्ट्रपति थे लेकिन 2016 में डोनल्ड ट्रम्प के सत्ता में आने के बाद इसे वापस ले लिया गया। ओबामा प्रशासन ने वादा किया था कि अमरीका 2025 तक अमरीकी ग्रीन हाउस मिशन में 26 से 28 प्रतिशत की कटौती करेगा। अमरीका में पर्यावरण से जुड़े विशेषज्ञों ने डोनल्ड ट्रम्प के इस फ़ैसले को ग़लत बताया है और कहा है कि इसकी वजह से वे 2020 का राष्ट्रपति चुनाव हार सकते हैं।