नई दिल्ली: अनुच्छेद 370 के हटने के बाद यूरोपियन सांसदों का 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जम्मू-कश्मीर का दौरा करेगा और जमीनी हकीकत की समीक्षा करेगा। पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से ही यह विषय दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं, पाकिस्तान की तरफ से भी यह मामला लगातार उठाया जाता रहा है। ऐसे में यूरोपियन प्रतिनिधिमंडल का यह दौरा काफी अहम है।
इससे पहले सोमवार को प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मिला। अनुच्छेद 370 हटने के बाद किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल का यह पहला दौरा होगा। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने कम्युनिकेशन ब्लैकआउट, कथित मानवाधिकार हनन और हजारों युवाओं की गिरफ्तारी की रिपोर्ट्स दी थीं।
अमेरिका और ब्रिटेन के सांसदों ने केंद्र सरकार से कश्मीर में संचार सेवाओं को पूरी तरह से बहाल करने और 5 अगस्त से बंद किए गए नेताओं को रिहा करने का आग्रह किया है।
कश्मीर में 85वें दिन भी जीवन लगातार बदहाल है। राज्य सरकार का स्कूल खोलने के प्रयासों का कोई नतीजा नहीं निकला है। अभिभावकों ने अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकाओं के चलते अपने बच्चों को घरों पर रखना जारी रखा है। हालांकि अथॉरिटी सभी बोर्ड परीक्षाओं को तय कार्यक्रम के अनुसार कराने की तैयारी कर रही हैं।
टॉप लेवल और दूसरे नंबर के दूसरे अलगाववादी राजनेताओं को सुरक्षात्मक उपायों के तहत हिरासत में लिया गया है। इनमें दो पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी शामिल हैं जिन्हें या तो हिरासत में रखा गया है या उन्हें घर में नजरबंद रखा गया है। सरकार ने विवादास्पद सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत पूर्व मुख्यमंत्री और श्रीनगर के लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला को हिरासत में लिया है।
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