कानपुर : 'कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों| कविवर दुष्यंत कुमार की इस कविता को चरितार्थ किया है उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर की बिटिया अनुष्का तिवारी ने, दिव्ययांग अनुष्का ने वो मिसाल कायम की है जो पूरी दुनिया के लिए एक नजीर बन कानपूर का नाम रौशन किया है ।

दिव्ययांग जनों की प्रेरणा स्रोत अनुष्का तिवारी खुद दिव्ययांग होकर दिव्ययांगज़नो को आगे बढ़ाने का हौसला देनी वाली सबकी प्रेणा स्रोत तिलक नगर (कानपुर)की रहने वाली हैं। कम दृष्टि के साथ सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित बच्चे के रूप में अनुष्का पैदा हुईं। वो समाज के लिये एक रोल मॉडल है। अनुष्का प्रतिदिन फिजियोथेरपी, कई सर्जरी, बोटॉक्स इंजेक्शन्स आदि पीड़ा से गुजरी है। वह अपने जन्म के बाद से ही स्प्लिन्ट्स पहनती और फिजियोथेरेपी कराती थीं। बचपन में 80% दिव्यांगता व अपने दोनों पैरों के बीच 2.5 सेमी का अन्तर होने के कारण अनुष्का मुश्किल से 3-4 कदम चल पाती थी। भावना सोसाइटी फ़ोर डिसेबेल्ड के डा. नरेन्द्र पान्डे के अथक प्रयासों व प्रतिदिन फिजियोथेरेपी ने अनुष्का के स्वावलम्बन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

चिकित्सकों ने बचपन में अनुष्का को एक विशेष स्पास्टिक स्कूल में भर्ती करने की सलाह दी थी।प्रारम्भ में तो उसे प्लेग्रुप के स्तर पर भी प्रवेश पाने में बड़ी कठिनाई हुई, फिर भी अनुष्का की माता अनुभा तिवारी व पिता कुबेर तिवारी ने उसे नियमित प्री-स्कूल में भेजने का कठिन फैसला किया।

पेश है अनुष्का से उनके इस सौहार्द सफर के बातचीत के कुछ अंश ।

अनुष्का तिवारी का शिक्षा को लेकर सफर

उसके पूर्व-विद्यालय ने माता-पिता से एक बांड हस्ताक्षर करने के बाद उसे विद्यालय में सशर्त प्रवेश दिया कि अगर उसे कोई चोट लग जाती है अथवा कुछ भी अप्रिय होता है, तो उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा।

इच्छा शक्ति की धनी अनुष्का तिवारी

अनुष्का के पास एक बहुत मजबूत इच्छाशक्ति है जिसने उसके माता-पिता को डीपीएस कल्याणपुर में शिक्षित करने के लिए प्रेरित किया। हालांकि शुरू में उन्हें केवल यह उम्मीद थी कि कम से कम वह 5 वीं कक्षा तक पढ़ जाए। अनुष्का के 7वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसकी कक्षाएँ भूतल की जगह द्वितीय तल पर लगने लगीं।

शिक्षा को लेकर अनुष्का का संघर्ष

अपने भारी स्कूल बैग के साथ अपनी नई कक्षा जो दो मंज़िल पर थी, कैसे पहुँच पायेगी? अनुष्का ने इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकारा और अपने पैरों के बीच 2.5 सेमी का अन्तर होने के बावजूद सीढ़ियों पर चढ़ने के लिए खुद को प्रशिक्षित किया। बाद में उसने अपने 10वीं के बोर्ड को भी उत्तीर्ण किया और बारहवीं कक्षा में पहुँच गई। बारहवीं कक्षा में उसने अपने माता-पिता से एक असामान्य और साहसिक अनुरोध किया। उसने अपने माता-पिता से कहा कि वह एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ना चाहती है और खुद को चुनौती देना चाहती है। वह स्वतंत्र रूप से चीजों को करने की कोशिश करना चाहती है। उसकी प्रबल इच्छा जानने पर उसके पिता ने "एकोल ग्लोबल इंटरनेशनल गर्लस स्कूल" देहरादून नामक एक उपयुक्त बोर्डिंग स्कूल को चुना। उसके नये बोर्डिंग स्कूल को यह तय करने में एक महीने का समय लगा कि उसे एडमिशन देना है या नहीं।आखिरकार, उसे स्कूल ने एडमिशन दिया व स्कूल के अन्दर कार की सुविधा भी प्रदान की। अनुष्का के बिना किसी टूयशन आदि की सुविधा लिए बारहवीं कक्षा में उच्च अंकों से उत्तीर्ण होने के कारण उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस में प्रवेश मिला। वर्तमान में वह अंग्रेजी व इतिहास विषयों में स्नातक के दूसरे वर्ष में अध्ययन कर रही है। उसे मिरांडा हाउस में एक छात्रावास मिला था, लेकिन उसने एक दृष्टि बाधित, अधिक जरूरतमंद लड़की के पक्ष में अपनी छात्रावास की सीट सरेंंडर कर दी और वर्तमान में वो दिल्ली के एक गर्ल्स पीजी में रह रही हैं और यह जगह कालेज से लगभग दो किलोमीटर दूर है।

अनुष्का का स्वयं के लिए उच्च कोटि का स्वतंत्र नजरिया

यह उल्लेखनीय है कि सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित होने के बावजूद वह स्वतंत्र रूप से अपने कॉलेज में जाती है। अनुष्का को मिरांडा हाउस द्वारा छात्रवृति व यशोदा फैलोशिप हाल ही में एडाप्ट ( Formally The spastic society of India) संस्था द्वारा अनुष्का को इंडीविजुअल ऐकेडमी कैटेगरी में एडाप्ट एजूकेशन अवार्ड 2019 मुम्बई में मिला है। अनुष्का को कानपुर प्रशासन ने भी सम्मानित किया है। डीएम कानपुर विजय विश्वास पंत की पत्नी हेमा पंत तथा जिला दिव्यांग अधिकारी ने अनुष्का को सम्मानित किया है।

अनुष्का ने अपनी रुचि के बारे में भी बताया

अनुष्का को संगीत और ट्रेवलिंग में रूचि है। उन्हें भावना सोसाइटी फ़ोर डिसेबेल्ड में अन्य स्पास्टिक बच्चों के साथ समय बिताना पसंद है। अनुष्का शिक्षण में अपना करियर बनाना चाहती हैं और दृढ़ता से मानती हैं कि उनके पास इस दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है।