शिक्षा निदेशालय ने किया खंडन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के शिक्षा निदेशालय ने उन खबरों का खंडन किया है जिसमें कहा गया है कि सरकार ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्मार्टफोन, मोबाइल के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है। तमाम मीडिया आउटलेट और सोशल मीडिया पर बैन की खबर वायरल होने के बाद निदेशालय को सफाई देनी पड़ी। शिक्षा निदेशालय ने जारी विज्ञप्ति में कहा है, 'मीडिया में यह खबर सामने आई है कि कॉलेज परिसर में छात्र-छात्राओं द्वारा मोबाइल पर पाबंदी लगाई गई है। यह सही नहीं है। इस तरह का कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है।'

शुक्रवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस की एक रिपोर्ट में कहा गया कि उच्च शिक्षा निदेशालय ने स्मार्टफोन बैन करने के लिए ऑफिशियल वेबसाइट पर एक नोटिस भी जारी कर दिया है। नोटिस की मानें तो राज्य के किसी भी विश्वविद्यालय में छात्रों को स्मार्टफोन लेकर प्रवेश नहीं दिया जाएगा। मोबाइल और स्मार्टफोन पर बैन छात्रों के अलावा शिक्षकों के लिए भी लगाया गया है। निदेशालय ने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि उच्च शिक्षण संस्थानों में पठन-पाठन का माहौल न बिगड़े। निदेशालय ने यह फैसला राज्य सरकार के आदेश के बाद लिया है।

निदेशालय के इस फैसले की खबर के बाद कई तरह के सवाल भी उठने लगे थे क्योंकि डिजिटाइलाइजेशन के इस दौर में अधिकतर शिक्षण कार्य इंटरनेट के माध्यम से संचालित की जाती है। इसलिए मोबाइल और स्मार्टफोन का प्रयोग नहीं होने पर छात्रों और शिक्षकों, दोनों को समस्याएं आएंगी।

प्रसारित रिपोर्ट के मुताबिक उच्च शिक्षा निदेशालय ने राज्य के सभी विश्वविद्यालय व डिग्री कॉलेजों में वायस रिकॉर्डिंग युक्त सीसीटीवी कैमरा लगाने का निर्देश दिया है। उसके जरिये हर शिक्षक व छात्र की गतिविधियों पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. वंदना शर्मा ने कहा कि पठन-पाठन का माहौल बनाने के लिए राज्य विश्वविद्यालय व डिग्री कॉलेज परिसर में मोबाइल प्रयोग पर रोक लगाई गई है। मोबाइल रखने और परिसर के बाहर प्रयोग करने पर कोई रोक नहीं है। छात्र साइलेंट मोड में मोबाइल रख सकते हैं।

हालांकि उच्च शिक्षा निदेशक डॉ वंदना शर्मा ने शनिवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि ऐसा कोई आधिकारिक आदेश नहीं जारी किया गया है। ऐसी खबरें उचित नहीं हैं।