दक्षिण एशियाई सरकार बनाओ, वोटरशिप की रकम बढ़ाओ!

जिस तरह 27 देशों ने मिलकर यूरोपियन यूनियन के अन्तर्गत अपनी एक संसद, यूरो मुद्रा, यूरोपियन चार्टर, वीजा मुक्त आवागमन, एक सेना आदि बनाकर दुनिया के समक्ष एक बेहतरीन मिसाल प्रस्तुत की है। उसी प्रकार दक्षिण एशिया के 8 देशों भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, मालद्वीप तथा अफगानिस्तान को मिलकर अपनी एक सरकार बना लेना चाहिए जिसमें चीन को भी शामिल किया जा सकता है। 8 देशों का पहले से सार्क संगठन गठित है उसे शक्ति प्रदान करके दक्षिण एशियाई सरकार, संसद, न्यायालय, मुद्रा, सेना, वीजामुक्त, संविधान का शीघ्र गठन करना चाहिए।

हमारा आज का नारा है – दक्षिण एशियाई सरकार बनाओ, वोटरशिप की रकम बढ़ाओ! वोटर एकता जिन्दाबाद। विश्वात्मा जिन्दाबाद। क्षण एशियाई सरकार का गठन होने से सुरक्षा के नाम से खर्च होने वाली बड़ी धनराशि तथा मानव संसाधन को बचाया जा सकेगा। इस बचत की धनराशि को प्रत्येक वोटर को वोटरशिप के रूप में प्रतिमाह दिया जा सकेगा। कोई भी वोटर कभी भी युद्ध के पक्ष में नही होता है। प्रत्येक वोटर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना चाहता है। वर्तमान में भारत सरकार पर प्रत्येक वोटर का प्रतिमाह रूपये 6000/- के हिसाब से कर्जा बढ़ रहा है। हम वोटरशिप समर्थक सरकार बनाकर इस रकम को ब्याज सहित प्रत्येक वोटर के खाते में डालकर भुगतान करेंगे। अगले चरणों में विश्व सरकार का गठन होने से प्रत्येक वोटर को मिलने वाली वोटरशिप की धनराशि प्रतिमाह लगभग साठ हजार हो जायेगी।

दक्षिण एशियाई सरकार बनाओ की मांग को लेकर विश्व परिवर्तन मिशन के संस्थापक विश्वात्मा भरत गांधी के मार्गदर्शन में रविवार 17 अक्टूबर 2019 को वोटरशिप की राष्ट्रीय स्वीकार्यता पर विशाल विजय दिवस महारैली का आयोजन डिस्ट्रिक्ट प्लेग्राउण्ड, रंगिया, कामरूप जिला (असम प्रदेश) में किया गया है।
महान विचारक विश्वात्मा भरत गांधी के कहना है कि हिंसा, प्रदुषण, इंसान की बेलगाम हरकतंे मानव जाति को धरती को छोड़ने पर मजबूर कर देगी।

स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में विश्व के लीडर्स को चेतावनी देते हुए कहा था कि तुमने अपने खोखले शब्दों से मेरे सपने और बचपन को चुराया है। ऐसा करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? लोग पीड़ित हैं, लोग मर रहे हैं, पूरा इको-सिस्टम टूट गया है। युवा हमारे भविष्य हैं। फिर भी, दुनिया के लीडर्स को इसे पूरी तरह से समझने में देर हो रही है। हमारी युवा पीढ़ी के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए राजनीतिक नेतृत्व को दिशा देनी होगी। वल्र्ड लीडर्स को आगे बढ़कर एक वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था (विश्व संसद) समय रहते शीघ्र गठन करना चाहिए। विश्व संसद से ही विश्व सरकार तथा प्रभावशाली विश्व न्यायालय के गठन का मार्ग प्रशस्त होगा।

हाल ही में 11 व 12 अक्टूबर 2019 को मोदी-जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात हुई है। भारत और चीन के संबंधों में विवादों से ज्यादा सहयोग की गुंजाइश हो सकती है। दोनों नेताओं को कश्मीर पर अलग दृष्टिकोण होने के बावजूद कूटनीतिक परिपक्वता दिखानी चाहिए। वर्तमान में बिना भारत के एशिया की 21वीं सदी असंभव है। 19वीं सदी यूरोप की और 20वीं सदी अमेरिका की रही है। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद यदि शांतिपूर्ण ढंग से निपटा लिया जाए तो यह दुनिया के सामने एक मिसाल बन जाएगा। दुनिया को संदेश मिलेगा कि कैसे दो ताकतें एक साथ आ सकती है। चीन और भारत के संबंध अच्छे रहने से एशिया का उदय होगा। दक्षिण एशिया की सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा। इस दक्षिण एशियाई देशों में चीन को भी शामिल किया जा सकता है।