नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पांच अगस्त को राज्य का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से हिरासत में लिए गए तीन नेताओं को गुरुवार को रिहा कर दिया। रिहा किए गए नेताओं में यावर मीर, नूर मोहम्मद और शोएब लोन को विभिन्न आधारों पर रिहा किया गया है।

यावर मीर राफियाबाद विधानसभा सीट से पूर्व विधायक हैं, जबकि शोएब लोन ने कांग्रेस के टिकट से उत्तर कश्मीर से चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने बाद में कांग्रेस छोड़ दी थी। उन्हें पीपुल्स कॉन्फ्रेंस प्रमुख सज्जाद लोन का करीबी माना जाता है जबकि नूर मोहम्मद नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकर्ता हैं।

अधिकारियों ने बुधवार को बताया था कि रिहा किए जाने से पहले नूर मोहम्मद एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर कर शांति बनाए रखने एवं अच्छे व्यवहार का वादा करेंगे। इससे पहले राज्यपाल प्रशासन ने पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के इमरान अंसारी और सैयद अखून को स्वास्थ्य कारणों से 21 सितंबर को रिहा किया था।

इससे पहले 2 अक्टूबर के दिन जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कुछ नेताओं की नजरबंदी (हाउस अरेस्ट) खत्म कर दी थी। हालांकि, इस दौरान कश्मीर घाटी में उनके समकक्षों को हिरासत या घर में नजरबंद रखा गया था। जिन नेताओं की नजरबंदी खत्म हुई है उनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (जेकेएनपीपी) जैसे राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं।

इन नेताओं में जम्मू के पूर्व मंत्री डोगरा स्वाभिमान पार्टी के अध्यक्ष चौधरी लाल सिंह, नेशनल कॉन्फ्रेंस के देवेंद्र सिंह राणा, सुरजीत सिंह सलाथिया, साजिद अहमद किचलू और जावेद राणा शामिल हैं। वहीं, कांग्रेस नेता रमन भल्ला और वकार रसूल के साथ जम्मू-कश्मीर नेशनल पीपुल्स पार्टी के हर्ष देव सिंह को भी नजरबंदी से रिहा कर दिया गया है। इसके साथ ही इन नेताओं पर लगाए गए प्रतिबंध भी हटा दिए गए हैं। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त को संविधान के आर्टिकल 370 हटाने के बाद से ही इन सभी नेताओं को एहतिहातन नजरबंद कर दिया गया था।

जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र सरकार के पांच अगस्त के फैसले के बाद नेताओं, अलगाववादियों, कार्यकर्ताओं और वकीलों समेत हजार से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था।

हिरासत में लिए गए नेताओं में तीन पूर्व मुख्यमंत्री- फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं। करीब 250 लोग जम्मू-कश्मीर के बाहर जेल भेजे गए। फारूक अब्दुल्ला को बाद में लोक सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया जबकि अन्य नेताओं को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत हिरासत में लिया गया।

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को बड़ा फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। सरकार ने इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो हिस्से में बांटते हुए अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश बना दिया है। 31 अक्टूबर से कश्मीर और लद्दाख देश को नए केंद्रशासित प्रदेश होंगे।