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भारत पर ग्लोबल मंदी का ज्यादा असर: IMF

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की नई प्रबंध निदेशक (एमडी) क्रिस्टालिना जॉर्जिवा का कहना है कि भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर ग्लोबल मंदी का ज्यादा स्पष्ट असर दिखाई दे रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि विश्व अर्थव्यवस्था में सुस्ती का असर हर जगह दिखाई दे रहा है। इसके कारण 90 फीसदी दुनिया में विकास दर धीमी पड़ जाएगी।

क्रिस्टालिना जॉर्जिवा ने बुधवार को संकेत दिया कि चौतरफा फैली मंदी का अर्थ है कि वर्ष 2019-20 के दौरान वृद्धि दर इस दशक की शुरुआत से अब तक के 'निम्नतम स्तर' पर पहुंच जाएगी। क्रिस्टालिना के मुताबिक, दुनिया का 90 फीसदी हिस्सा आर्थिक सुस्ती का का सामना करेगा।

जॉर्जिवा ने कहा, 'उभरती अर्थव्यवस्थाओं जैसे भारत और ब्राजील में इस साल मंदी अधिक स्पष्ट होगी। चीन की विकास दर कई वर्ष तक तेजी से बढ़ने के बाद अब लगातार घटती जा रही है।' उन्होंने कहा कि शोध से पता चलता है कि व्यापार विवादों का प्रभाव व्यापक है और देशों को अर्थव्यवस्था में नकदी डालने के साथ एकरूपता से प्रतिक्रिया करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था के सामने एक और बड़ी चुनौती जलवायु परिवर्तन है। इसके समाधान के लिए उन्होंने कार्बन कर बढ़ाए जाने का आह्वान भी किया। अगले हफ्ते आईएमएफ-विश्वबैंक की सालाना बैठकें शुरू होनी हैं।

जॉर्जिवा ने कहा, 'दुनिया की 90 फीसद अर्थव्यवस्था के 2019 में मंदी के चपेट में आने की आशंका है। वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्तमान में एक ही समय में कई कारकों की वजह (सिंक्रोनाइज्ड) से नरमी से गुजर रही है।’ उन्होंने कहा कि इस व्यापक घोषणा का अर्थ है कि दुनिया की वृद्धि दर इस दशक की शुरुआत के बाद से अपने सबसे निचले स्तर तक पहुंच जाएगी।

जॉर्जिवा ने कहा कि आईएमएफ चालू और अगले वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर अनुमान को घटा रहा है। हालांकि इसके आधिकारिक संशोधित आंकड़े वह 15 अक्टूबर को जारी करेगा। पहले आईएमएफ ने 2019 में वैश्विक वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत और 2020 में 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।

आईएमएफ की एमडी ने कहा कि वैश्विक व्यापारिक वृद्धि 'लगभग थम' गई है। आईएमएफ ने घरेलू मांग बढ़ने की 'उम्मीद से कम संभावना' के चलते भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 0.3 प्रतिशत की कमी कर उसे सात फीसदी कर दिया है।

इसी माह क्रिस्टीन लेगार्ड के स्थान पर आईएमएफ का शीर्ष पद संभालने वाली क्रिस्टालिना जियॉरजीवा ने कहा कि मुद्राएं एक बार फिर अहम हो गई हैं और विवाद कई-कई देशों तथा अन्य अहम मुद्दों तक फैल गए हैं।

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