गिलोय कई औषधीय गुणों से भरपूर है इसलिए इसका इस्‍तेमाल आयुर्वेद में कई बिमारियों के इलाज के रूप में किया जाता है। गिलोय का वानस्‍पतिक नाम टीनोस्‍पोरा कार्डीफोलिया है। गिलोय की तासीर गर्म होती है। गिलोय एडाप्‍टोजेनिक हर्ब है, इसका से

आमतौर पर गिलोय जंगलों, खेंतों व पहाडियों में पाये जाने वाली एक बेल या लता है। यह एक आयुर्वेदिक औषधी है, जिसका इस्‍तेमाल कई रोगों के उपचार के लिए किया जाता है। गिलोय के पत्‍ते पान के पत्‍ते की तरह होते हैं। गिलोय का वानस्‍पतिक नाम टीनोस्‍पोरा कार्डीफोलिया है। लेकिन आयुर्वेद में इसे कई नामों से जाना जाता है जैसे- अमृता, गुडुची या चक्रांगी। अमृत समान गुणकारों होने के कारण इसे अमृता कहा जाता है। गिलोय की पत्तियों में एंटीबायोटिक और एंटीवायरल गुण पाये जाते हैं, जिस कारण य‍ह शरीर की बीमारियों से रक्षा करने में मदद मिलती है। गिलोय में प्रोटीन, कैल्शियम और फास्‍फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता है, इसके अलावा गिलोय के तने में स्‍टार्च पाया जाता है। औषधीय गुणों के आधार पर नीम के पेड़ के साथ होने वाली गिलोय को सबसे अच्‍छा माना जाता है। आप चाहें, तो घर में गमले पर भी गिलोय को लगा सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि गिलोय जिस भी पेड़ के पर चढ़ती है, वह उस पेड़ के गुण भी अपने अंदर ले लेती है।

कोलेस्‍ट्रॉल और डायबिटीज

गिलोय औषधीय गुणों से भरपूर है यह आपके ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मददगार है और कोलेस्‍ट्राल को कम करती है। गिलोय का रस पीने या फिर इसके पत्‍तों को सलाद या सब्‍जी रूप में खाने से डायबिटीज को कंट्रोल में रखा जा सकता है। गिलोय में हाइपोग्‍लैसेमिक गुण होते हैं, इसके अलावा इसमें शुगर और लिपिड के स्‍तर को कम करने का गुएा भी होता है, जो डायबिटीज टाइप 2 के उपचार के लिए फायदेमंद है। इसलिए डायबिटीज के रोगियों को गिलोय का सेवन करना चाहिए।

हीमोग्‍लोबिन स्‍तर बढ़ाने में मदद

गिलोय के पत्‍तों का सेवन डेंगू जैसी बीमारियों में बहुत फायदेमंद होता है। यह शरीर में खून की कमी को दूर करने में सहायक है। गिलोय ब्‍लड प्‍लेटलेट्स की संक्ष्‍या बढ़ाने में मदद करती है। इसके लिए गिलोय के चूर्ण को घी या शहद के साथ मिलाकर खाया जा सकता है। इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और आप स्‍वस्‍थ रहते हैं।

वजन को नियंत्रित करे

गिलोय आपकी कई बीमारियों को दूर करने के अलावा आपके मोटापे को कम करने में भी सहायक है। यदि आप गिलोय और त्रिफला के चूर्ण के साथ शहद मिलाकर सुबह-शाम लेते हैं, तो आपको वजन कम करने में मदद मिलेगी। आप चाहें, तो गिलोय के साथ हरड़, बहेड़ा और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं। इसके अलावा यह आपके पाचन तंत्र को सुधारने में भी मददगार है। गिलोय के रस के साथ छाछ मिलाकर पीने से अपच की समस्‍या दूर होती है और गिलोय के चूर्ण को गुड़ के साथ खाने से कब्‍ज की समस्‍या दूर होती है।

आंखों की रौशनी व बुखार के लिए

यदि आपकी आंखों में जलन या आंखो से आंसू आते है, तो आप गिलोय को पानी में उबालकर, इसके पानी को आंखों में लगायें । इससे आपके आंखों की समस्‍या दूर होगी और आंखों की रौशनी अच्‍छी होती है। इसके अलावा गिलोय का इस्‍तेमाल बुखार होने पर भी किया जाता है। बुखार होने पर गिलोय के साथ धनिया, नीम की छाल को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। इसके अलावा गिलोय के साथ कालीमिर्च और तुलसी की पत्तियों को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीना भी बुखार में फायदेमंद है।

गठिया व एक्जिमा

गिलोय के सेवन से गठिया और एक्जिमा जैसी कई त्‍वचा संबंधी बीमारियों को दूर किया जा सकता है। इसमें शरीर की सूजन और दर्द को कम करने और गठिया रोग से लड़ने के गुण होते हैं। यदि गिलोय के तने से बने पाउडर को मिलाकर पिया जाए, तो गठिया रोग में फायदेमंद होता है आप इसका सेवन अदरक के साथ भी कर सकते हैं। गिलोय को नीम और आंवला के साथ सेवन करने से एक्जिमा व सोराइसिस जैसे त्‍वचा संबंधी रोगों को दूर करने में मदद मिलती है।