नई दिल्ली: झारखंड के जमशेदपुर से सटे आदित्यपुर के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) की सहायक प्रोफेसर दुलारी हेंब्रम का दावा है कि भविष्य में रॉकेट गौमूत्र और गोबर के ईंधन से उड़ेगा। एनआइटी में इसको लेकर एक रिसर्च कि जा रही है। दुलारी के मुताबिक गोबर के मिश्रण से उच्चकोटि की हाइड्रोजन गैस बनती है। आवश्यक परिष्करण कर इसका इस्तेमाल रॉकेट के प्रोपेलर में ईंधन के रूप में भी किया जा सकता है। दुलारी ने इसका दावा अपने रिसर्च पेपर में किया है और इस प्रयोग को संभव बताया है। दुलारी के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनको जमकर ट्रोल किया जा रहा है। यूजर्स उन्हें ट्रोल कर अगला नोबेल पुरुस्कार देने की बात कह रहे हैं।

दुलारी के अनुसार, ईंधन के रूप में इस्तेमाल होने वाली हाइड्रोजन गैस के उत्पादन पर फिलहाल प्रति यूनिट सात रुपये खर्च आ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस प्रयोग में मदद करती है तो तो इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। इससे देश में बिजली की समस्या भी दूर हो जाएगी। इतना ही नहीं उन्होंने दावा किया है कि इसे रॉकेट में उपयोग होने वाले ईंधन के सस्ते विकल्प के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। इसकी रिसर्च दुलारी कॉलेज की प्रयोगशाला में कर रहीं हैं। इसके लिए वे सरकारी मदद पाने के लिए प्रयास कर रही हैं।

दुलारी को अपनी इस रिसर्च को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रोल होना पड़ा है। एक यूजर ने पतंजलि पर फिरकी लेते हुए उन्हें पतांजलि का डाइरेक्टर बनाने की सलाह दी है। एक यूजर ने लिखा “हम मुश्किल से लिट्टी चोखा बना प रहे हैं गोइथा की मदद से अब भाजपा इसे भी सीज कर देगी रॉकेट उड़ाने के लिए।” एक ने लिखा “गौमूत्र और गोबर की अब मांग दुनिया में तेज़ी से बढ़ेगी तथा इसके भाव में भी उतार-चढ़ाव पेट्रोल की तरह देखने को मिलेगा। भारत की पौ-बारह होगी।”

बता दें रॉकेट में उपयोग होने वाला ईंधन एक रासायनिक मिश्रण है जो रॉकेट में जोर पैदा करने के लिए जलाया जाता है। इसमें ईंधन और ऑक्सीकारक होते हैं। इसका ईधन ऑक्सीजन के साथ मिलकर दहन करता है और वायुयान को गति में सेट करने के लिए गैस छोड़ता है।