नई दिल्ली: भारत में इस बार मानसून ने पिछले 25 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. मानसून के दौरान हुई बारिश के चलते जून से अभी तक 1,600 लोगों की मौत हो चुकी है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यह जानकारी मंगलवार को दी गई. इस दौरान उत्तर भारतीय राज्यों में बड़े शहरों के रिहायशी इलाके पानी में डूब गए हैं और नगरीय प्रशासनों को बाढ़ जैसे हालातों से निपटना पड़ रहा है.

मानसून जो अमूमन जून से सितंबर के बीच रहता है, इस दौरान पहले ही पिछले 50 सालों के औसत के 10% ज्यादा बारिश हो चुकी है. और अभी मानसून ने अक्टूबर की शुरुआत से पहले जाने के आसार भी नज़र नहीं आ रहे हैं. अगर ऐसा होता है तो यह आम मानसून के मौसम के मुकाबले करीब एक माह ज्यादा का समय होगा.

इस भारी बारिश के चलते आपदा जैसी स्थितियां पैदा हो गई हैं. भारी बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य शामिल हैं. दो अधिकारियों के मुताबिक पिछले हफ्ते के शुक्रवार से अभी तक इन राज्यों में 144 लोगों की मौत हो चुकी है.

पटना एक ऐसा ही शहर है जो नदी के किनारे है और भारी बारिश के चलते इसके कई इलाके पानी में कई दिनों से डूबे हुए हैं. यहां पर नागरिकों को घर के लिए जरूरी सामान जैसे खाना और दूध आदि लाने के लिए कमर तक पानी में डूबकर जाना पड़ रहा है.

यहां के आशियाना नाम के इलाके के रहने वाले 65 वर्षीय रंजीव कुमार ने बताया कि उनका पूरा इलाका पानी में डूबा हुआ है. उन्होंने बताया कि सरकार उनके बचाव और गंभीर स्थितियों पर कोई काम नहीं कर रही है.

अधिकारियों ने बताया कि ऐसे मौसम ने उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में होने वाली ज्यादातर मौतें बिल्डिंगों और दीवारों के गिरने से हुई हैं. मात्र 2019 में महाराष्ट्र में बाढ़ के चलते 371 मौतें हो चुकी हैं. जो कि किसी राज्य में सबसे ज्यादा हैं.

यूपी (UP) के आपदा बचाव विभाग के एक बाढ़ विशेषज्ञ चंद्रकांत शर्मा ने बताया, "भारी बारिश के दौरान पुरानी और कमजोर इमारतों के ढहने की संभावना बढ़ जाती है. जैसा कि फिलहाल हुआ है."