स्टिंग केस केस में CBI को मिली FIR दर्ज करने की इजाज़त

नई दिल्ली: कांग्रेस के एक और पूर्व मुख्यमंत्री की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट ने सोमवार को बड़े ऐक्शन का आदेश दे दिया। हाईकोर्ट ने देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की इजाजत दे दी। हालांकि, इसके बाद भी पूर्व सीएम गिरफ्तार नहीं किए जा सकेंगे।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज कपिल सिब्बल ने जहां कोर्ट में रावत की तरफ से पैरवी की, वहीं सहायक महाधिवक्ता राकेश थपलियाल सरकार और सीबीआइ की तरफ से पेश हुए। सीबीआइ ने इस मामले में की गई प्राथमिक जांच के बारे में एक लिफाफाबंद रिपोर्ट न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की कोर्ट में पेश की।

एसआर बोम्मई मामले का हवाला देते हुए सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल द्वारा लिए गए फैसलों को असंवैधानिक माना जाएगा। सिब्बल ने आगे कहा कि कोर्ट के आदेश पर बहाल हुई रावत सरकार ने कैबिनेट बैठक के जरिए स्टिंग केस की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का फैसला किया था।

दरअसल, यह मामला 2016 के स्टिंग वीडियो से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई रावत के खिलाफ जांच छेड़ सकती है, पर वह उन्हें कोर्ट का फैसला आने तक गिरफ्तार नहीं कर सकती है। सीबीआई के साथ जांच में सहयोग के कुछ दिनों बाद रविवार को पूर्व सीएम ने आरोप लगाया कि जांच एजेंसी उनके खिलाफ लगे आरोपों के मामले में सही प्रक्रिया नहीं अपना रही है।

टि्वटर पर उनकी ओर से लिखा गया, ” सीबीआई मेरा काम तमाम करना चाहती है। वे मुझे दोषी घोषित कराना चाहते हैं और निष्पक्ष न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही जेल भेजना चाहते हैं। मैंने कोर्ट के सामने अपना पक्ष रख दिया है और मुझे इस बाबत आप सब लोगों का समर्थन चाहिए।” रावत साल 2016 में नौ बागी विधायकों को कांग्रेस पार्टी में वापस लाने के लिए कथित तौर पर कैमरे पर हॉर्स ट्रेडिंग डील करते हुए कैद हो गए थे।